कर्मो के अनुसार ही सुख एवं दुख मनुष्य को प्राप्त होता है-पंडित पवन कृष्ण शास्त्री

 


हरिद्वार। श्री राधा रसिक बिहारी भागवत परिवार सेवा ट्रस्ट के तत्वाधान में प्राचीन अवधूत मंडल आश्रम हरिद्वार में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के चतुर्थ दिवस पर कथा श्रवण कराते हुए भागवताचार्य पंडित पवन कृष्ण शास्त्री ने बताया कि कर्मो के अनुसार ही मनुष्य को सुख एवं दुख प्राप्त होता है। महाभारत युद्ध संपन्न हो जाने के बाद द्वारकाधीश श्री कृष्ण इंद्रप्रस्थ से द्वारिका पुरी के लिए प्रस्थान कर रहे थे। उसी समय माता कुंती ने कृष्ण से कहा कि मैं तुमसे कुछ मांगना चाहती हूं। श्री कृष्ण ने कहा बुआ आप जो मांगोगी मैं आपको अवश्य दूंगा। तब कुंती ने कृष्ण से कहा अगर तुम मुझे कुछ देना चाहते हो तो मुझे दुख दे दो। श्री कृष्ण ने कहा कि बुआ दुख लेकर क्या करोगी। जीवन पर्यंत तुमने दुख ही दुख तो देखा है। अब पहली बार सुख आया और आप फिर से दुख मांग रही हो। कुंती ने कहा कृष्णा जब तक मेरे जीवन में दुख था। तब तक तुम मेरे साथ थे और आज मेरे जीवन में सुख आया तो हमें छोड़ कर द्वारिका जा रहे हो। मैं चाहती हूं कि मेरा दुख भी बना रहे तो मेरा कृष्ण भी बना रहे। तब भगवान श्री कृष्ण ने कहा कि बुआ यह सुख एवं दुख मनुष्य अपने कर्मों के फलस्वरूप भोक्ता है। मनुष्य अच्छे कर्म करता है तो उसके जीवन में सुख संपत्ति धन दौलत मान सम्मान सब कुछ आ जाता है। परंतु मनुष्य जब बुरे कर्मों की ओर अग्रसर होता है, बुरे कर्म करता है तो उसका मान सम्मान सुख संपत्ति सब कुछ नष्ट हो जाता है। उसे दुख और बीमारियों का सामना करना पड़ता है। शास्त्री ने बताया श्रीमद्भागवत महापुराण की कथा प्रत्येक मनुष्य को सत्य कर्म करने के लिए प्रेरित करती है। जो अच्छे कर्म करता है। उसके जीवन में कभी भी कोई दुख नहीं आता है। इसलिए सुखी जीवन जीने के लिए सत्कर्म करना बहुत अनिवार्य है। इस अवसर पर मुख्य जजमान करन कोहली,सुरुचि कोहली,सोमेश विग,सनी कोहली,मीना कोहली, अथर्व कोहली,सुनीता पाहवा,गोविंद पाहवा,मीना कोहली,किरण विग,रजनी नौनिहाल, अशोक नौनिहाल,हर्ष आनंद,प्रदीप वडेरा,अन्नू वडेरा,विपिन वडेरा,पूनम वडेरा,लक्ष्य वडेरा,रियांश वडेरा,पंडित गणेश कोठारी,पंडित मोहन जोशी,पंडित विष्णु गौड़,पंडित उमेश जोशी आदि शामिल रहे।