भारतीय संस्कृति में विज्ञान और अध्यात्म का सदैव से रहा है संतुलन- राज्यपाल

ले0ज0गुरूमीत सिंह एआई फेद व फ्यूचर अंतर्राष्ट्रीय महासम्मेलन के समापन में हुये शामिल


हरिद्वार।देवसंस्कृति विवि में आयोजित एआई फेद व फ्यूचर अंतर्राष्ट्रीय महासम्मेलन के समापन समारोह के मुख्य अतिथि राज्यपाल गुरमीत सिंह ने कहा कि एआई केवल एक तकनीकी साधन नहीं,बल्कि सही दिशा में यदि उपयोग किया जाए तो यह मानवता के कल्याण का सशक्त माध्यम बन सकता है। भारतीय संस्कृति में विज्ञान और अध्यात्म का संतुलन सदैव से रहा है।अब समय आ गया है कि हम एआई को केवल तकनीकी दृष्टि से न देखकर,इसे आध्यात्मिक मूल्यों के साथ जोड़ें और मानव कल्याण हेतु प्रयोग करें।राज्यपाल ने कहा कि आने वाले समय में एआई का प्रयोग शिक्षा,चिकित्सा और सामाजिक कल्याण जैसे क्षेत्रों में बड़े स्तर पर किया जा सकता है,लेकिन इसके लिए जरूरी है कि इसे नैतिकता,करुणा और सेवा भावना के साथ जोड़ा जाए।राज्यपाल ने आशा व्यक्त की वर्ष 2027तक भारत आत्मनिर्भर, विकसित और विश्वगुरु बनने जा रहा है।तब तक हमें रुकना नहीं है। राज्यपाल ने कहा कि एआई से मानवता को लाभ होना चाहिए,तभी इसका आविष्कार सार्थक होगा। देसंविवि के प्रतिकुलपति युवा आइकॉन डॉ चिन्मय पण्ड्या ने एआई के अध्यात्मिक मूल्यों की अवधारणा पर विस्तृत जानकारी देते हुए कहा कि एआई को भस्मासुर होने से बचना होगा। इस असवर पर स्विट्जरलैण्ड,अमेरिका सहित 20देशों से आये एआई विशेषज्ञों ने भी अपने-अपने विचार रखे। समारोह में देश-विदेश के वैज्ञानिक,आध्यात्मिक धर्मगुरुओं,शिक्षाविदों और छात्रों ने भाग लिया। युवा आइकॉन ने राज्यपाल को रुद्राक्ष माला,गायत्री महामंत्र लिखित चादर आदि भेंटकर सम्मानित किया। सायंकाल प्रतिभागियों ने मनमोहक सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किया।