गुरु कृपा से ही मिला पद प्रतिष्ठा और सम्मान-डा.संतोषानंद देव
हरिद्वार। श्री अवधूत मंडल आश्रम के ब्रह्मलीन पीठाधीश्वर महंत महामंडलेश्वर स्वामी सत्यदेव महाराज की 21वीं पुण्यतिथि महामंडलेश्वर स्वामी संतोषानंद देव महाराज के संयोजन में श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाई गई। महामंडलेश्वर सत्यदेव महाराज की पुण्यतिथि तिथि पर सुंदरकांड पाठ का आयोजन किया गया। इस अवसर पर उपस्थित हुए सभी संतों ने एकस्वर में आतंकवाद के खिलाफ मोदी सरकार के आपरेशन सिंदूर की मुक्त कंठ से प्रशंसा की। महामंडलेश्वर स्वामी डा.संतोषानंद देव महाराज ने गुरू की महिमा का वर्णन करते हुए कहा कि गुरु की कृपा से ही उन्हें पद प्रतिष्ठा और सम्मान मिला है।आज वे जिस मुकाम पर पहुंचे हैं,यह उनके गुरु का आशीर्वाद का ही परिणाम है।उन्होंने कहा कि भारत की सनातन संस्कृति में गुरु को एक परम भाव माना गया है,जो कभी नष्ट नहीं हो सकता।इसीलिए गुरु को व्यक्ति नहीं अपितु विचार की संज्ञा दी गयी है।उन्होंने कहा कि गुरु वह है,जिसमें जीवन से अज्ञान का अंधेरा हटाने की सामर्थ्य निहित हो। भारतीय मनीषियों के मुताबिक जो स्वयं में पूर्ण होगा,वही दूसरों को पूर्णत्व की प्राप्ति करवा सकता है।शिष्यों के जीवन को सही राह पर ले जा सकता है।कुसंस्कारों का परिमार्जन ,सदगुणों का संवर्धन एवं दुर्भावनाओं का विनाश कर सकता है।भारतीय इतिहास में गुरु की भूमिका सदा से समाज को सुधार की ओर ले जाने वाले मार्गदर्शक के साथ क्रान्ति को दिशा दिखाने वाली रही है। इस अवसर पर साध्वी नेहा आनंद,क्रियायोग आश्रम ऋषिकेश के महामंडलेश्वर स्वामी शंकरानन्द महाराज,महामंडलेश्वर ललितानंद गिरी महाराज,महंत हरिवल्लभ शास्त्री,स्वामी रघुवीर दास,स्वामी गिरजानंद महाराज, स्वामी अमृतानंद बर्फानी बाबा, स्वामी ओमप्रकाश,स्वामी श्यामदास ,स्वामी निर्मलदास महाराज, अग्रेश मुनीम,पं.राजेन्द्र अवस्थी सहित अन्य गणमान्य संत महंत उपस्थित रहे।