दहेज प्रथा जाति बंधन को तोड़ता एक वैवाहिक बंधन

हरिद्वार। भारतवर्ष में जहां अपनी जाति में विवाह करने की परंपरा जैसे वैश्य, क्षत्रिय,ब्राह्मण, शुद्र अपनी जाति में विवाह करते हैं,इन सब बंधनों को तोड़कर,आज युवा पीढ़ी ने ऐसी मिसाल पेश की है, जो दहेज प्रथा और जात बिरादरी की रूढ़िवादी परंपराओं को तोड़कर,एक बड़ी पहल के रूप में सामने आ रही है।जाट बिरादरी से चौधरी सुमित शेरावत और गुर्जर समाज की कन्या योग्यता बैंसला हाल ही में दिल्ली के छतरपुर में माडी गांव में विवाह गठबंधन में बंधे। वर-वधु दोनों हरिद्वार के रहने वाले हैं और शादी की रिसेप्शन भेल के लीडो क्लब के प्रांगण में संपन्न हुई। वधु योग्यता बैंसला के पिता राहुल का कहना है कि जहां गैर जाति में विवाह करने की बात सोचने पर जाट और गुर्जर बिरादरी के आपस में पीढ़ी-दर-पीढ़ी की पूरी दुश्मनी चलती आ रही थी और लाठी डंडे और तलवारें भी म्यान से बाहर आ जाती थी, इन बातों की परवाह न करते हुए दोनों युवाओं ने अपना वैवाहिक बंधन स्वीकार किया। इस रिश्ते की नींव रखने वाले युवा सुमित शेरावत जाट और कुमारी योग्यता बैसला ने अपने-अपने माता-पिता के समक्ष यह प्रस्ताव रखा तो दोनों परिवार में पहले तो थोड़ी तनाव की स्थिति उत्पन्न हो गई किंतु युवाओं द्वारा एक नई पहल को उन्होंने स्वीकारा और धूमधाम से विवाह रस्म पूरी करवाई। इस रिश्ते को उदाहरण बनाकर सभी लोग जाति बंधन तोड़कर विवाह करने लगें,इसी भावना से दोनों समाज के लोग आगे आए और नव दंपति को आशीर्वाद दिया। । समाज में फैली दहेज प्रथा को भी सुमित शेरावत और योग्यता बैंसला ने दरकिनार कर एक नया आयाम दिया। वर पक्ष ने दहेज में एक रुमाल भी नहीं लिया और जो शादी में दहेज के रूप में खर्च होना था वह गांव के मंदिर,स्कूल व धर्मशाला को दे दिया। गौरतलब है कि वर-वधु दोनों एडवोकेट हैं और दोनों ने मिलकर एक लिमिटेड कंपनी खोली है।