पतंजलि विश्वविद्यालय परिसर में दिगंबर जैन मुनि का योगगुरू रामदेव व आचार्य जी ने किया स्वागत

 जैन मुनि प्रसन्न सागर जी ने अपना सम्पूर्ण जीवन पूर्ण शुचिता व पूर्ण संयम से जीया है-स्वामी रामदेव


हरिद्वार। पतंजलि विश्वविद्यालय हरिद्वार के परिसर में गुरूवार को आध्यात्मिक चेतना, दर्शन और धर्म-संवाद दृश्य साकार हुआ, जब दिगंबर जैन परंपरा के प्रखर चिंतक, संत- शिरोमणि,अँतर्मना आचार्य प्रसन्न सागर महाराज पहुचे। जैन मुनि के सम्मान में एक भव्य कार्यक्रम आयोजित किया गया जिसमें स्वामी रामदेव महाराज एवं आचार्य बालकृष्ण ने उनका भावपूर्ण अभिनंदन किया। इस अवसर पर जैन मुनि ने कहा कि कहा कि स्वामी रामदेव तथा आचार्य बालकृष्ण मानवता के स्वास्थ्य,समाज की सम्पन्नता तथा विश्व सद्भावना के लिए निस्वार्थ भाव से पारमार्थिक कार्य कर रहे हैं। उन्होंने योग व आयुर्वेद की महति साधना की है। जैन मुनि ने प्रकृति,संस्कृति व विकृति की विस्तृत व्याख्या की। उन्होंने कहा कि प्रकृति व संस्कृति के अनुरूप जीवन जीएँ,विकृति में जीवन जीना दरिद्रता का प्रतीक है। इस अवसर पर पतंजलि विश्वविद्यालय के कुलाधिपति एवं योगऋषि स्वामी रामदेव ने कहा कि अँतर्मना आचार्य प्रसन्न सागर जी महाराज का आगमन न केवल एक जैन संत का आगमन है,बल्कि यह समग्र भारतीय दर्शन के उस शुद्धतम चिंतन का उद्घोष है जो सनातन परंपरा की आत्मा है। जैन धर्म सनातन धर्म का शुद्धतम रूप है जो तप, संयम,अहिंसा और आत्मा की चेतना का मार्गदर्शन करता है। स्वामी रामदेव ने कहा कि हमारे अँतर्मना प्रसन्न सागर जी महाराज ने आजीवन प्रकृति की उपासना की है। स्वामी जी ने कहा कि दिगम्बर होने का अर्थ देह के समस्त अध्यासों,आभासों व दैहिक अनुभूतियों से पार हो जाना है। स्वामी जी ने कहा कि प्रसन्न सागर जी ने अपना सम्पूर्ण जीवन पूर्ण शुचिता व पूर्ण संयम से जीया है जो इनके व्यक्तित्व में परिलक्षित होता है। इस अवसर पर पतंजलि विश्वविद्यालय के कुलपति एवं आयुर्वेदाचार्य आचार्य बालकृष्ण ने आचार्य श्री के प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त करते हुए संस्कृत में रचित आठ श्लोकों से युक्त प्रशस्ति-पत्र का सस्वर पाठ किया।यह काव्यात्मक भावांजलि सभागार में उपस्थित सभी श्रद्धालुओं के हृदय को स्पर्श करती रही और वातावरण भक्तिरस से सराबोर हो गया। समारोह में जैन समाज की ओर से स्वामी रामदेव को प्रशस्ति-पत्र प्रदान कर सम्मानित किया गया। पतंजलि विश्वविद्यालय की ओर से आचार्य प्रसन्न सागर जी महाराज को भी विशेष प्रशस्ति-पत्र भेंट किया गया। इससे पूर्व जैन मुनि ने पतंजलि रिसर्च इंस्टीट्यूट का भ्रमण कर पतंजलि के अनुसंधानपरक कार्यों की प्रसंशा की।उन्होंने पतंजलि हर्बल गार्डन में वृक्षारोपण भी किया।इस अवसर पर जैन मुनि पीयूष सागर,अप्रमत्त सागर,परिमल सागर, आचार्य नैगम सागर जी,माता ज्ञानप्रभा,चरित्रप्रभा व पुण्यप्रभा उपस्थित रहे।कार्यक्रम में पतंजलि विश्वविद्यालय की कुलानुशासिका प्रो.साध्वी देवप्रिया,प्रतिकुलपति प्रो.मयंक कुमार अग्रवाल ,सभी संकायाध्यक्षगण,शिक्षकों,शोधार्थियों एवं विद्यार्थियों की व्यापक भागीदारी रही।