भगवान कृष्ण के जन्म पर खुल गए जेल के ताले-पंडित पवन कृष्ण शास्त्री
हरिद्वार। श्रीराधा रसिक बिहारी भागवत परिवार के तत्वावधान में दुर्गा मंदिर ज्वालापुर में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के चौथे दिन कथा व्यास भागवताचार्य पंडित पवन कृष्ण शास्त्री ने ध्रुव चरित्र,प्रहलाद चरित्र,समुद्र मंथन और कृष्ण जन्मोत्सव कथा का श्रवण कराते हुए बताया कि द्वापर में मथुरा देश के दो भाग थे तथा दोनों भाग पर दो वंशों के राजा का राज था। पहले वृष्णी वंश में दो भाई देवक व उग्रसेन हुए। जिसमे देवक बड़े थे और देवकी उनकी इकलौती पुत्री थी।देवक राजपाट छोटे भाई उग्रसेन को सौंपकर भगवान की पूजा करने चले गए। उग्रसेन का पुत्र कंस आतताई था।उसने पिता को जेल में डाल दिया और स्वयं राजा बन गया।दूसरे भाग पर यदुवंश का राज था।जिसके राजा सूरसेन थे। जिनके के दस पुत्र व पांच पुत्री थी।यदुवंश में सबसे बड़े वासुदेव थे।वसुदेव के सात विवाह हुए। देवकी उनकी सातवीं पत्नी थी। जिसका विवाह स्वयं कंस ने वासुदेव से कराया। विवाह के समय आकाशवाणी हुई कि कंस देवकी की आठवीं संतान ही तेरा काल होगी। कंस ने आकाशवाणी सुनकर देवकी और वासुदेव को जेल में डाल दिया। कथा वाचक ने कहा कि भादो मास की अंधियारी रात को अष्टमी तिथि के दिन कंस की मथुरा जेल में अचानक अलौकिक प्रकाश फैलने लगा और माता देवकी के गर्भ से श्रीकृष्ण का प्राकट्य हुआ।जेल के समस्त बंदी मूर्छित हो गए,जेल के दरवाजे खुल गए। आकाशवाणी हुई जिसे सुनकर वासुदेव नन्हे बालक को लेकर यमुनापार गोकुल में नंद के घर नंदभवन पहुंचकर वहां से नवजात कन्या को लेकर वापस आए।सुबह होते ही गोकुल में नंद बाबा के घर बालक का जन्म होने की बात पता चलते ही उत्सव मनाया जाने लगा।इस अवसर पर मुख्य जजमान सीमा मिगलानी,महेंद्र मिगलानी,नीलम सेठी,दीपक सेठी,गुंजन जयसिंह, सुनील जयसिंह,वंदना जयसिंह,राम जयसिंह,इशिका जयसिंह,चेतन जयसिंह,शशि जयसिंह, पार्थवी जयसिंह,मनश्वनी सेठी,माधव शेट्टी,हर्षा खत्री,रितिका खत्री,कमल खत्री,कोमल रावत ,भावना अरोड़ा,सचिन अरोड़ा,विनीता शर्मा,संजय शर्मा,रिम्पी शर्मा,गगन शर्मा,नरेश कुमार शर्मा,योगराज,लक्ष्मी तनेजा,कैश राज तनेजा,फूल्लैश शर्मा, चंद्रप्रकाश शर्मा,वीना धवन,शांति दर्गन,पंडित अभिषेक मिश्रा,तन्नु शर्मा,ऊषा पाहवा,सोनम मिश्रा,ऊषा वर्मा,पंडित दया कृष्ण शास्त्री,रितिका मल्होत्रा,मुकेश मल्होत्रा,मधु मल्होत्रा,राजेश मल्होत्रा,सपना मल्होत्रा,अनिल मल्होत्रा आदि ने भागवत पूजन संपन्न किया।