विश्व लिवर दिवस पर फैटी लिवर के बारे में किया जागरूक


देहरादून। विश्व लिवर दिवस पर मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल ने फैटी लिवर के लक्षण, कारण,निदान और उपचार के बारे में लोगों को जागरुक किया।फैटी लिवर,जिसे मेडिकल भाषा में हिपैटिक स्टीटोसिस कहा जाता है, आज के दौर में तेजी से फैल रही बीमारियों में से एक है.लगभग हर तीसरा व्यक्ति फैटी लिवर की किसी न किसी अवस्था से प्रभावित है।  यह चिंता का विषय है यह बीमारी प्रारंभिक अवस्था में बिना किसी लक्षण के शरीर में विकसित होती है और यदि समय रहते इसका निदान और इलाज न हो तो यह लिवर सिरोसिस,हेपेटाइटिस और यहां तक कि लिवर कैंसर तक का रूप ले सकती है। डॉ.अभिजीत भावसार,कंसल्टेंट,गैस्ट्रोएंटरोलॉजी,हेपैटोलॉजी एवं एंडोस्कोपी,मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल ने बताया कि फैटी लीवर,जिसे स्टीटोसिस भी कहा जाता है,तब विकसित होता है जब लीवर की कोशिकाओं में अत्यधिक वसा (चरबी) जमा हो जाती है।लीवर शरीर का दूसरा सबसे बड़ा अंग है और यह कई महत्वपूर्ण कार्यों के लिए जिम्मेदार होता है,जैसे भोजन और पेय से पोषक तत्वों के पाचन एवं अवशोषण में मदद करना,तथा रक्त से हानिकारक विषाक्त पदार्थों को फ़िल्टर कर बाहर निकालना। जब लीवर में वसा की मात्रा सामान्य से अधिक हो जाती है,तो उसकी कार्यक्षमता प्रभावित हो सकती है,जिससे आगे चलकर गंभीर जटिलताएँ उत्पन्न हो सकती हैं। अत्यधिक मात्रा में शराब का सेवन करने से लीवर की कोशिकाओं में वसा का असामान्य जमाव होने लगता है,जिससे लीवर की पाचन क्रिया प्रभावित होती है। यह स्थिति लीवर की सामान्य कार्यप्रणाली को बाधित कर सकती है और आगे चलकर सिरोसिस या लीवर फेल्योर जैसी गंभीर समस्याओं का कारण बन सकती है। कुछ मामलों में गर्भावस्था के दौरान भी यह स्थिति उत्पन्न हो सकती है। यह एक चिंताजनक तथ्य है कि फैटी लीवर प्रारंभिक अवस्था में कोई विशेष लक्षण नहीं दर्शाता,लेकिन यदि समय रहते इसका पता न चले और उपचार न हो,तो यह गंभीर जटिलताओं का रूप ले सकता है।लक्षणों पर बात करते हुए डॉ.अभिजीत ने बताया कि फैटी लीवर को अक्सर एक“साइलेंट डिज़ीज़”कहा जाता है,क्योंकि इसकी शुरुआत में आमतौर पर कोई स्पष्ट लक्षण नजर नहीं आते। अधिकांश लोगों को तब तक इसके बारे में पता नहीं चलता जब तक कि वे किसी अन्य कारण से कराए गए मेडिकल टेस्ट में इसकी पहचान न हो जाए।यदि फैटी लीवर की स्थिति गंभीर रूप से ले,जैसे कि नॉन- अल्कोहलिक स्टीटोहेपेटाइटिस या लीवर सिरोसिस,तो त्वचा और आंखों का पीला पड़ना (पीलिया),पैरों और पेट में सूजन,और त्वचा पर खुजली जैसे लक्षण दिखाई देने लगते हैं। इसलिए यह आवश्यक है कि यदि किसी व्यक्ति को लंबे समय तक थकान,कमजोरी या पेट में असहजता की शिकायत बनी रहती है,तो उसे चिकित्सक से परामर्श लेकर आवश्यक जांच अवश्य करानी चाहिए। कुछ मामलों में विशेष दवाओं की सलाह दे सकते हैं,जो लीवर की सूजन को कम करने या मेटाबॉलिक प्रक्रियाओं को नियंत्रित करने में सहायक होती हैं। साथ ही,नियमित मेडिकल चेकअप और समय-समय पर लीवर फ़ंक्शन टेस्ट कराना आवश्यक है,ताकि बीमारी की प्रगति पर निगरानी रखी जा सके और समय रहते आवश्यक कदम उठाए जा सकें।