होली का पर्व हमारे जीवन में रंगों की तरह है,जो हमें विविधता, प्रेम और भाईचारे का संदेश देता है

 


ऋषिकेश। अंतर्राष्ट्रीय योग महोत्सव, परमार्थ निकेतन के पांचवे दिन का आयोजन बहुत ही शानदार रहा,जब 75 से अधिक देशों से आए योगियों,योग जिज्ञासुओं और योगाचार्यों ने महर्षि महेश योगी आश्रम (बीटल्स आश्रम) में शांति,प्रेम और योग का उत्सव मनाया। इस विशेष अवसर पर वहां पवित्र प्रार्थना,ध्यान और प्रसिद्ध कीर्तन गायक राधिका दास द्वारा एक विशेष संगीत कार्यक्रम ने सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। सायंकाल परमार्थ निकेतन में पवित्र गंगा जी की आरती के बाद एक अंतर्राष्ट्रीय शांति संगीत कार्यक्रम का आयोजन किया गया,जिसमें गिल रॉन शामा और उनकी बैंड की प्रस्तुतियों ने सभी को आनंद से भर दिया।आज अंतर्राष्ट्रीय योग महोत्सव के पांचवे दिन,विश्व शांति की प्रार्थनाओं और ध्यान के बाद सभी योगियों ने स्वामी चिदानन्द सरस्वती और डा.साध्वी भगवती सरस्वती के पावन सान्निध्य में गंगा स्नान कर फूलों से होली खेलकर एकता और भाईचारे का संदेश दिया। विश्व के 75देशों से आए प्रतिभागियों और योगाचार्यों ने महर्षि महेश योगी आश्रम में एकत्रित होकर वहां की पवित्र ऊर्जा को आत्मसात किया। यह वह ऐतिहासिक स्थल पर,जहाँ महार्षि महेश योगी ने ध्यान और ट्रांसेंडैंटल मेडिटेशन का अभ्यास किया था आज इसी ऐतिहासिक स्थल पर स्वामी चिदानंद सरस्वती और साध्वी भागवती सरस्वती के मार्गदर्शन व नेतृत्व में ध्यान और विश्व शान्ति हेतु प्रार्थना की गयी। स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि होली का पर्व हमारे जीवन में रंगों की तरह है,जो हमें विविधता, प्रेम और भाईचारे का संदेश देता है। जैसे विभिन्न रंग जब मिलते हैं तो एक खूबसूरत चित्र बनता है,वैसे ही हमारे जीवन में विविधता में ही सौंदर्य और शक्ति है। यह पर्व हमें यह सिखाता है कि हमें एक-दूसरे को स्वीकार करना चाहिए और सभी भेद-भावों से परे एकता के रंगों में रंग जाना चाहिए। साध्वी भागवती सरस्वती ने कहा,“सच्ची शांति भीतर से शुरू होती है।जब हम ध्यान का अभ्यास करते हैं तो आंतरिक शांति अपने आप आती है। साथ ही जीवन में प्रेम,सामंजस्य और सकारात्मक बदलाव भी आने लगते हैं।फिर हमें हर श्वास और हर क्रिया में परिवर्तन दिखायी देने लगता है। लंदन से आए प्रसिद्ध कीर्तन गायक और भक्ति योगाचार्य राधिका दास के विशेष कीर्तन से सभी मंत्रमुग्ध हो गये। शाम को, गंगा आरती के बाद,गिल रॉन शामा और उनके बैंड द्वारा एक शानदार अंतर्राष्ट्रीय संगीत कार्यक्रम प्रस्तुत किया गया। गिल रॉन शामा ने कहा ,“दुनिया में सात मुख्य नदियाँ हैं जो अंत में महासागर में मिलती हैं,और आज हम सभी माँ गंगा के पवित्र तट पर एकत्र हो रहे हैं,विभिन्न जीवन क्षेत्रों से,एक शांति के महासागर में मिल रहे हैं। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि हम कौन सी भाषा बोलते हैं,हमारी त्वचा का रंग क्या है,हम किस धर्म का पालन करते हैं,जो महत्वपूर्ण है वह यह है कि प्रेम और एकता का संगीत हमें जोड़ता है ,और यही योग है जिसकी आज की दुनिया में सबसे अधिक आवश्यक है।क्लेयर मिसिंघम ,जो पिछले 24वर्षों से अंतरराष्ट्रीय योग शिक्षिका हैं,ने कहा,“आजकल,मुझे लगता है कि उपनिषदों की शिक्षाएँ विशेष रूप से प्रासंगिक हैं।जब हम मौन में रहते हैं,जब शांति की श्वास लेते हैं,तब शक्ति को नवीनीकरण का अवसर मिलता है।”गुरमुख कौर खालसा ,जिन्होंने योगी भजन के रूप में अमेरिका में पहले योग केंद्र की स्थापना की थी,ने कहा, “अंतर्राष्ट्रीय योग महोत्सव ने लगातार विस्तार किया है और आज यह विश्व का सबसे शानदार योग महोत्सव बन चुका है। तबला जैसे भारतीय वाद्य यंत्र का उपयोग योग अभ्यास के दौरान ध्यान,प्राणायाम और शारीरिक संतुलन में मदद करता है।”