अपने कर्मों की गठरी के बोझ तले दबने के बाद भी एक झूठ को छिपाने के लियें सौ और झूठ बोलता है इंसान श्री महंत कमलेशानन्द सरस्वती

राम भक्ति वह नैया है जो हमें भवसागर पार करावायेगी 

हरिद्वार। भूपतवाला स्थित श्रीगंगा भक्ति आश्रम के परमाध्यक्ष संत ज्ञानमूर्ति श्री महंत कमलेशानन्द सरस्वती ने कहा इस कलयुग में किसी से अच्छे कर्मों की आशा करना व्यर्थ है। यदि लोग आपके लिए गड्ढे खोद रहे हैं तो आप उसमें पौधे लगाइये और बैठकर उनके फलों का आनंद लीजिये क्योंकि इस कलयुग के करयुग भाग में जैसे को तैसा चाहिये बोलना सभी को आता है। परंतु किसी की जुबान बोलते हैं तो किसी की नियत बोलती है किसी का समय बोलता है। जिंदगी के अंत में ईश्वर के दरबार में उनका हर कर्म बोलता है इन सब के बीच जीवन में किया गया। हरि का भजन भी बोलता है कि इसने अपने जीवन में क्या किया अपना मानव जीवन विभिन्न लालसा लालच तेरा मेरा के चलते व्यर्थ किया या हरि भजन कर अपने जीवन को सार्थक किया इस कलयुग में कर्मों का फल भोगने के लियें आपको अगले जन्म की आवश्यकता नहीं। मनुष्य का कर्तव्य ही उसका धर्म है और उसके मन में दूसरों के प्रति बसा प्रेम और सद्भावना ही ईश्वर है सेवा ही पूजा है और सत्य ही भक्ति है। जो मनुष्य जीवन में इन बातों का ध्यान रखना है उसका मानव जीवन सार्थक हो जाता है। वह कलयुग के प्रभाव से बचा रहता है और जो इन बातों का ध्यान नहीं रखना उसका मानव जीवन व्यर्थ हो जाता है। राम भक्ति वह नैया है जो हमें भवसागर पार करावायेगी और सत्य ही वह डगर है जो हमें हरि से मिलवायेगी। इसी बीच जिस प्रकार एक व्यापारी कच्चे लालच के लिये किसी सामान में मिलावट कर देता है। इसी प्रकार झूठ लालच वह निधि है जो मनुष्य को अच्छे कर्मों से दूर करती है।