ध्यान और साधना को खुशी प्राप्त करने के सबसे प्रभावी स्रोत स्वामी चिदानन्द सरस्वती

 विश्व खुशी दिवस पर परमार्थ निकेतन में विशेष यज्ञ,विश्व मंगल के लिये अर्पित की आहुतियाँ


ऋषिकेश। विश्व खुशी दिवस के अवसर पर परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने जीवन में खुशी और मानसिक शांति के महत्व पर जोर देते हुये कहा कि खुशी सिर्फ बाहरी चीजों से नहीं आती बल्कि यह हमारे भीतर से उत्पन्न होती है।स्वामी चिदानंद सरस्वती ने कहा बाहरी परिस्थितियाँ हमारी वास्तविक खुशी का कारण नहीं है बल्कि हमारी आंतरिक सोच और दृष्टिकोण हैं जो हमें मानसिक शांति और संतुष्टि का अनुभव कराते हैं। खुशी को सिर्फ एक पल के आनंद या मस्ती के रूप में देखने के बजाय यह तो एक गहरी और स्थायी भावना है। असली खुशी तब मिलती है जब हम अपने अंदर की आत्मा से जुड़ते हैं और अपने भीतर की संतुष्टि और शांति को महसूस करते हैं।खुश रहने का एक बड़ा कारण आत्मविश्वास।आत्मविश्वास हमें न सिर्फ अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए प्रेरित करता है बल्कि यह हमें जीवन की कठिनाइयों का सामना करने की ताकत भी देता है।जब हम अपने भीतर आत्मविश्वास विकसित करते हैं तो हम न केवल अपनी क्षमताओं का एहसास करते हैं बल्कि दूसरों के साथ अच्छे और सकारात्मक संबंध भी बनाते हैं।हमें अपने परिवारए दोस्तोंए और समाज के साथ अच्छे रिश्ते बनाए रखने चाहिए क्योंकि यही हमारे मानसिक स्वास्थ्य और खुशी का आधार बनते हैं।एक मजबूत और प्यार भरे रिश्ते न केवल हमें खुशी प्रदान करते हैं बल्कि ये हमें मुश्किल समय में सहारा भी देते हैं।स्वामी जी ने यह भी कहा कि आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में मानसिक शांति और संतुलित जीवन की महत्ता को नजरअंदाज किया जाता है।आधुनिक समय में जहां हर व्यक्ति अपने करियरए परिवारए और व्यक्तिगत जीवन में संतुलन बनाए रखने के लिए संघर्ष कर रहा है,वहीं हमें अपनी मानसिक शांति पर भी ध्यान देना चाहिए।संतुलित जीवन जीने का अर्थ यह नहीं है कि हमें अपने सभी कार्यों में सामंजस्य बनाना हैए बल्कि इसका मतलब है कि हम अपने मनए शरीर और आत्मा के बीच संतुलन स्थापित करें।जब यह संतुलन सही होता है तो हम जीवन में खुशी और शांति का अनुभव कर सकते हैं। उन्होंने कहा खुशी एक आंतरिक प्रक्रिया है,जिसे हम अपने दृष्टिकोण और मानसिकता के द्वारा अनुभव करते हैं। स्वामी जी ने कहा कि ध्यान और साधना को खुशी प्राप्त करने के सबसे प्रभावी स्रोत है। उन्होंने बताया कि जब हम अपनी मानसिक ऊर्जा को नियंत्रित करते हैं और ध्यान में रहते हैं तो हम न केवल अपने आंतरिक शांति को महसूस करते हैं बल्कि जीवन के प्रति एक सकारात्मक दृष्टिकोण भी विकसित करते हैं।ध्यान से हम अपनी मानसिक स्थितियों को संतुलित कर सकते हैं और मानसिक शांति की स्थिति में पहुँच सकते हैं।साधना हमें अपने भीतर की आवाज सुनने और जीवन के वास्तविक उद्देश्य को समझने में मदद करती है। स्वामी जी ने सभी का आह्वान करते हुये कहा कि अपने जीवन को संतुलित और सकारात्मक दृष्टिकोण से जीएं ताकि न सिर्फ खुद खुशी महसूस करें बल्कि अपने आसपास के लोगों को भी खुशी का अनुभव करा सकें। खुशी का उत्सव सिर्फ इस दिन तक सीमित न रहे,बल्कि यह हर दिन हमारे जीवन का हिस्सा बने।