होली केवल बाहरी उत्सव नहीं है,बल्कि यह आत्मिक परिवर्तन का प्रतीक


हरिद्वार। राष्ट्रीय मानव अधिकार संरक्षण समिति की पूर्व राष्ट्रीय सचिव रेखा नेगी ने कहा कि पूरे प्रदेश में में शुक्रवार को रंगों का त्योहार होली और जुमे की नमाज एक ही दिन होने के कारण पुलिस और प्रशासन की सुरक्षा के बीच पूरे उत्साह और उमंग के साथ मनाया गया। होली में लोगों ने एक दूसरे को गुलाल लगाकर बधाई और शुभकामनाएं दीं। होली में सुबह से ही लोग अपने घरों से बाहर निकले और एक-दूसरे को रंग-बिरंगे गुलाल लगाकर बड़ों से आशीर्वाद लिया। बच्चों से लेकर बड़ों तक,हर कोई इस उत्सव में शामिल हुआ। रंगों की बौछार और हंसी-ठिठोली ने पूरे शहर को जीवंत बना दिया। परिवार आपस में मिले,स्वादिष्ट पकवान बनाए गए और होली की खुशी को एक साथ बांटा गया। होली केवल बाहरी उत्सव नहीं है,बल्कि यह आत्मिक परिवर्तन का प्रतीक है। सच्ची होली भीतर खेली जाती है,जहाँ हम अपनी आत्मा को शुद्धता के रंगों से रंगते हैं और अपनी नकारात्मकता की अंधकारमयी परतों को जला देते हैं।होली के रंग प्रेम,उमंग, उत्साह,खुशी और जीवन में नई ऊर्जा का प्रतीक हैं,जो व्यक्ति जीवन के रंगों का सम्मान करता है,उस व्यक्ति का हर दिन होली के समान होता है। होली के इतिहास को जानकर ज्ञान के सही मार्ग पर चलने की प्रेरणा लें।