साकेतवासी भगवान दास सच्चे पथ दर्शक के साथ-साथ ज्ञान का एक विशाल सूर्य थे-महंत विष्णु दास
श्रीरामानन्दआश्रम आचार्य महापीठ में संतो ने साकेतवासी ब्रहमलीन भगवान दास को श्रद्वांजलि
हरिद्वार। श्रवणनाथ नगर स्थित श्रीरामानन्द आश्रम आचार्य महापीठ में ब्रह्मलीन महामंडलेश्वर भगवान दास जी महाराज की सप्तम पुण्यतिथि हर्षाेल्लास के साथ मनायी गई। इस अवसर पर एक विशाल संत समागम में आयोजित किया गया। संत समागम में बोलते हुए जगतगुरु रामानंदाचार्य श्रीअयोध्या दास जी महाराज ने कहा साकेतवासी भगवान दास जी महाराज इस पृथ्वी लोक पर ज्ञान का एक विशाल सागर थे,उनकी पावन पुण्यतिथि पर हम उन्हें अपने श्रद्धासुमन अर्पित करते हैं।श्रीगुरुसेवक उछाली आश्रम परमाध्यक्ष श्रीमहंत विष्णु दास महाराज ने कहा पूज्य साकेतवासी महामंडलेश्वर भगवान दास जी महाराज एक विद्वान तपोमूर्ति संत थे, उनके बारे में कुछ कहना और बताना सूर्य को दीपक दिखाने के सामान है। उनके ज्ञान तपोबल के प्रभाव से सभी परिचित है। इस पृथ्वी लोक पर वे ज्ञान का एक विशाल तेजवान सूर्य थे,वे लोग बड़े ही भाग्यशाली हैं जिन्हें उनके सानिध्य प्राप्त हुआ। उन्होंने भक्तों को सत्य का मार्ग दिखाने के साथ-साथ भक्तों के बीच ज्ञान की गंगा बहाई धर्म कर्म के माध्यम से भक्तों को भगवान राम के चरणों तक पहुंचने का मार्ग दिखाया। इस अवसर पर श्रीरामानंद आचार्य महपीठ के महंत महामंडलेश्वर प्रेमदास महाराज ने कहा हमारे गुरुदेव साकेतवासी भगवान दास जी महाराज ईश्वर की प्रतिमूर्ति थे,उनके ज्ञान का प्रताप आज भी आश्रम तथा भक्तजनों के बीच विद्यमान है।वे सूक्ष्म रूप में आज भी हम लोगों के बीच विद्यमान है। इस अवसर पर श्रीसुदर्शन आश्रम अखाड़े के परमाध्यक्ष महंत रघुवीर दास महाराज ने कहा पूज्य साकेतवासी महामंडलेश्वर भगवान दास जी महाराज इस पृथ्वी लोक पर देवतुल्य थे,सभी के सच्चे पथ दर्शक एवं मार्गदर्शक थे। ऐसे संत जीवन में बिरला ही मिल पाते है।ऐसे तपोमूर्ति ईश्वर स्वरूप गुरु मूर्ति की पावन,पुण्यतिथि पर उन्हें शत-शत नमन करते हैं।पुजारी सत्यानन्द दास ने कहा पूज्य गुरुदेव आज भी हम लोगों के हृदय तथा मस्तिष्क पटल पर उसी प्रकार विद्यमान है।उनका पावन सानिध्य हमारे जीवन को आज भी आलोकित कर रहा है। बड़े ही भाग्यशाली लोगों को ऐसे पावन गुरु का सानिध्य प्राप्त होता है। संत समागम में श्रद्वांजलि देने वालों में महामंडलेश्वर चिदविलासानन्द महाराज,महामंडलेश्वर गंगादास उदासीन महाराज, महामंडलेश्वर महंत सूर्यदेव महाराज,महंत हरिदास महाराज,महामंडलेश्वर गोपाल दास महाराज, महंत सुतीक्ष्ण मुनि महाराज, महंत प्रमोद दास महाराज, महंत हरिदास महाराज,महंत रविदेव महाराज,महंत मोहन सिंह महाराज,महंत कमलेशानन्द सरस्वती महाराज, महंत प्रेमदास महाराज, महंत धनेश्वर दास महाराज,महंत हेमंत दास,महंत साध्वी गंगादास महाराज,महंत केशवानंद महाराज,महंत प्रेमानंद महाराज,महंत आकाश गिरी,महंत दुर्गादास,महंत प्रहलाद दास,महंत बिहारी शरण महाराज,स्वामी अंकित शरण महाराज, महंत सीताराम दास,महंत कन्हैया दास, महंत जगजीत सिंह, महंत ज्ञानानंद महाराज,रामदास जी,धर्मदास महाराज कोतवाल कमल मुनि सहित बडी संख्या में संतो के साथ साथ श्रद्वालुगण मौजूद रहे।