सरस कवि गोष्ठी में हुई अध्यात्म, फागुन और श्रृंगार की रस वर्षा
हरिद्वार। शब्द गंगा साहित्यिक एवं सांस्कृतिक मंच तथा श्रवण सेवा एवं शोध संस्थान के संयुक्त तत्वावधान में सरस कवि गोष्ठी का आयोजन श्रवणनाथ नगर स्थित उछाली आश्रम के सभागार में किया गया। गोष्ठी का शुभारंभ माँ शारदा के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन तथा पुष्पांजलि के उपरांत युवा कवयित्री अपराजिता उन्मुक्त की सरस्वती वंदना से हुआ। कवि गोष्ठी में प्रस्तुत रचनाओं में शिवरात्रि महापर्व,ऋतुराज बसंत के साथ-साथ श्रृंगारिक प्रस्तुतियों की प्रधानता रही।कवयित्री मीरा भारद्वाज ने कहा-भोला कर मन मेरा नैनन जल चढ़ाऊं,अभिषेक करूं तेरा,कवि विजेंद्र हर्ष ने कहा-मन भावों के अर्घ्य चढ़ाकर,श्रद्धा के तर्पण देकर,मैंने मुस्कानों की कुछ कलियाँ पथ में बिखराई हैं। डा.सुशील त्यागी अमित की प्रार्थना थी सफलता की कुंजी प्रभु मम तुम्हीं हो,तो कवियित्री कंचन प्रभा गौतम ने नैनों में अश्रुधार भर कर दूँगी मैं आहुति के साथ. देवाधिदेव महादेव को नमन किया। गीतकार रमेश रमन ने कहा शिव पर भी फूल मिलेगा शव पर भी फूल मिलेगा।मन फूल उठा झूल उठा,जब आई फागुन बयार के साथ वरिष्ठ कवि अरुण कुमार पाठक ने बसंत व फागुन की मस्ती का रंग घोला। कुँवर पाल सिंह धवल ने चर्चा है गलियन में बाग और बगियन में,एक बार फिर सखी आयो बसंत है, और नीता नैयर निष्ठा ने आया वसंत आया वसंत अलबेला के साथ ऋतुराज का स्वागत किया। प्रेम शंकर शर्मा प्रेमी ने अमृत महाकुंभ में जिसने भी स्नान किया,उसका पूजन अर्चन सनातनी दिनचर्या है के साथ महाकुम्भ की महिमा बखानी,तो श्रृंगार रस में सराबोर करते हुए गीतकार भूदत्त शर्मा ने कहा-अजर अमर है भाव प्यार के,प्यार कभी मरता ही नहीं, कवि दीनदयाल दीक्षित ने फरमाया-मैं चला दो कदम जिंदगी की डगर,जिंदगी को मुझी से खता हो गयी,कवि डा.अशोक गिरी ने कहा-अपनों से प्यार करने वालों गैरों से मिलकर देखो तो, डा.श्याम बनौधा तालिब ने फरमाया-कोई इक बाग मोहब्बत का लगाया जाए तो कवयित्री अपराजिता उन्मुक्त ने कहा-सुलग रही है चिंगारी बोलो नारी बोलो।गोष्ठी में आशा साहनी,कल्पना कुशवाहा,डा.पुष्पा रानी वर्मा,डा.शिवशंकर जायसवाल,डा.एनपी सिंह,अरविंद दुबे,साधुराम पल्लव,पं.ज्वाला प्रसाद शांडिल्य,सुभाष मलिक,डा.मेनका त्रिपाठी,रेखा सिंघल आदि कवियों के काव्यपाठ ने भी श्रोताओं की तालियाँ बटोरी। कार्यक्रम का संचालन हिन्दी साहित्यकार डा.अशोक गिरी ने किया,सभी पधारे कवियों का आभार बृजेंद्र हर्ष ने किया। इस अवसर पर उछाली आश्रम के परमाध्यक्ष महंत विष्णुदास महाराज ने कवि गोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए कहा कि कवि वास्तव में समाज का मार्गदर्शक होता है। कवि होना परमात्मा का एक ऐसा वरदान है जो हर एक को नहीं मिलता। उन्होंने समस्त प्रतिभागी कवियों को महाशिवरात्रि पर्व की शुभकामनाएँ एवं आशीर्वाद भी दिया। मुख्य अतिथि डा.पुष्पा रानी वर्मा तथा विशिष्ट अतिथि के रूप में वरिष्ठ गीतकार रमेश रमन तथा डा.शिव शंकर जायसवाल उपस्थित रहे।