महाकुम्भ,भारत सहित पूरे विश्व में एकता,शांति और सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक
प्रयागराज। महाकुम्भ,भारत सहित पूरे विश्व में एकता,शांति और सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक है। महाकुम्भ के दिव्य अवसर पर हिंदुजा ग्रुप ऑफ कंपनियों (भारत) के अध्यक्ष अशोक पी. हिंदुजा अपने परिवार के साथ परमार्थ निकेतन शिविर में पधारे और यहाँ की दिव्य वर्चस्वता का उन्होंने दूसरी बार आंनद लिया।अशोक पी.हिंदुजा का महाकुम्भ में आगमन एक प्रेरणादायक उदाहरण प्रस्तुत करता है कि भौतिक सफलता का कोई भी आयाम आध्यात्मिक यात्रा से बड़ा नहीं हो सकता। यह केवल एक यात्रा नहीं,बल्कि आत्मा की शुद्धि,समाज के प्रति सेवा और सनातन संस्कृति के प्रति निष्ठा का प्रतीक है।महाकुम्भ के इस अद्भुत क्षणों में अशोक पी.हिंदुजा और उनके परिवार ने परमार्थ निकेतन के पवित्र शिविर में स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी और साध्वी भगवती सरस्वती से भेंट की। इस दिव्य भेंटवार्ता में स्वामी जी और साध्वी जी के मार्गदर्शन में जीवन के वास्तविक उद्देश्य,सेवा,और संतुलित जीवन के महत्व पर चर्चा हुई।स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि समाज को उन्नति की दिशा में ले जाने के लिए,हमें आत्मा के भीतर व्याप्त दिव्य शांति का अनुभव करना आवश्यक है। जीवन की सच्ची सफलता केवल भौतिक संपत्ति में नहीं,बल्कि समाज सेवा और आत्मिक शांति में है। अशोक पी.हिंदुजा ने परमार्थ निकेतन शिविर में श्रद्धालुओं और स्वच्छता दूतों को भोजन परोसा। अशोक पी.हिंदुजा ने स्वामी चिदानन्द सरस्वती के साथ परमार्थ त्रिवेणी पुष्प का भ्रमण किया, जो एक अत्यंत अद्वितीय और दिव्य स्थल है। अशोक पी.हिंदुजा और उनके परिवार को एक बार फिर संगम की पवित्र धरती ने आकर्षित किया। महाकुम्भ,पीढ़ियों के उद्धार का एक माध्यम है।यह वह समय है जब हम अपने आत्मिक मार्ग को शुद्ध करते हैं और समाज में प्रेम, शांति और समरसता का संदेश प्रसारित करते हैं।महाकुम्भ में हर व्यक्ति को अपने जीवन के उद्देश्य को समझने का अवसर मिलता है। यह आयोजन हमें याद दिलाता है कि हम सभी का उद्देश्य केवल आत्म-सुख की प्राप्ति नहीं,बल्कि समाज की सेवा और दुनिया के कल्याण की ओर बढ़ना है।