मन के मैल भी धुले और माटी भी मैली न रह जाये-स्वामी चिदानन्द सरस्वती
परमार्थ निकेतन ने स्वच्छता अभियान के साथ की महाकुम्भ की पूर्णाहुति
प्रयागराज। परमार्थ निकेतन ने स्वच्छता अभियान के साथ महाकुम्भ की पूर्णाहुति की। महाकुम्भ की धरती से विदा लेते हुये परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती के दिव्य मार्गदर्शन, नेतृत्व व सान्निध्य में एसडीएम आलोक कुमार,स्वच्छता कर्मी भाई-बहन और परमार्थ गुरूकुल के ऋषिकुमारों ने अरैल घाट पर स्वच्छता अभियान चलाया। स्वच्छता अभियान के दौरान स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने बताया कि चारों ओर सबसे ज्यादा गुटके के पाउच पड़े हुये थे। ये पाउच तो धरती को नुकसान पहुंचाते हैं परन्तु गुटका,गुटका खाने वाले के शरीर को बर्बाद कर देता है इसलिये महाकुम्भ से विदाई के साथ-साथ गुटके को भी विदाई दे और आज ही गुटका न खाने का संकल्प ले।स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने महाकुम्भ से विदाई लेते हुये स्वच्छता अभियान का ऐतिहासिक कदम उठाया। स्वच्छता अभियान के पश्चात सभी स्वच्छता कर्मी भाई-बहनों को साड़ी,कपड़े,मिठाईयाँ और दक्षिणा देकर उनकी सेवा का सम्मान किया।स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा,’आज तक तो हम संगम स्नान करते आये हैं,लेकिन आज संगम को स्नान कराया। हम अपने शरीर और मन की स्वच्छता के साथ-साथ,इस पवित्र तीर्थ की माटी और जल की भी स्वच्छता का ध्यान रखें। उन्होंने कहा कि मेला, मैला न रह जाये,मन के मैल भी धुले और माटी भी मैली न रह जाये। मन भी स्वच्छ हो और माटी भी स्वच्छ हो,इसका हम सभी को ध्यान रखना होगा। स्वामी जी ने कहा कि महाकुम्भ में स्वच्छता कार्य में लगे हमारे भाई-बहन वास्तव में महाकुम्भ की रीढ़ हैं,उन्हें श्रद्धा और सम्मान मिलना जरूरी है। अब समय आ गया कि हर एक व्यक्ति को स्वच्छता के प्रति अपनी जिम्मेदारी को समझना होगा।महाकुम्भ के दौरान ग्लोबल इंटरफेथ वाश एलायंस और डेटॉल ने एक साथ मिलकर स्वच्छता के प्रति जागरूकता बढ़ाने का अद्भुत कार्य किया। स्वच्छता के इस व्यापक अभियान का हिस्सा बनने के लिए सैकड़ों स्वच्छता दूत घाटों पर तैनात हुए और लाखों श्रद्धालुओं को स्वच्छता के महत्व के बारे में नूक्कड नाटक और पम्पेट शो के माध्यम से बताया। स्वामी जी ने डेटॉल और जीवा को भी धन्यवाद देते हुये कहा कि यह अभियान केवल महाकुम्भ तक सीमित नहीं रहेगा,अब इसे हर एक गली,मोहल्ले,शहर,गांवों तक ले जाना है। स्वच्छता का यह अभियान हमारे जीवन का अंग बने और हम सब मिलकर एक स्वच्छ भारत की दिशा में कदम बढ़ाये।स्वामी जी ने महाकुम्भ की दिव्य धरती,प्रयागराज वासी,पूरा प्रशासन, शासन और श्रद्धालुओं का अभार व्यक्त किया और आज महाकुम्भ की धरती से विदा ली।