साकेतवासी महामण्डेलश्वर प्रेमदास महाराज ज्ञान का एक विशाल सूर्य थे-श्री महंत हरिदास


हरिद्वार। सतयुग कालीन श्रीनीलेश्वर मंदिर एवं श्रीगौरी शंकर मंदिर पर वार्षिक अधिवेशन संत महापुरुषों की उपस्थित के बीच बड़े ही धूमधाम हर्षाेल्लास के साथ संपन्न हुआ। इस अवसर पर संत समागम को संबोधित करते हुये मंदिर के श्रीमहंत हरिदास महाराज ने कहां संत महापुरुषों का जीवन समाज को समर्पित होता है। संतो द्वारा किये जाने वाले कार्यों में जगत कल्याण की भावना निहित होती है। पूज्य गुरुदेव साकेत वासी महामंडलेश्वर प्रेमदास जी महाराज इस पृथ्वी लोक पर साक्षात एक ज्ञान की गंगा थे तथा ज्ञान का एक विशाल सूर्य थे। उनके ज्ञान रूपी सरोवर में स्नान करने के बाद भक्त अपने जीवन को धन्य तथा कृतार्थ किया करते थे। उनके ज्ञान का तपोबल आज भी आश्रम तथा भक्तजनों के बीच सुख शांति उन्नति वृद्धि के रूप में विद्यमान है। उनका तपोबल श्रीनीलेश्वर मंदिर तथा श्रीगौरीशंकर मंदिर में सदैव विद्यमान रहेगा। इस अवसर पर बोलते हुए महंत कन्हैया दास महाराज ने कहा सतगुरु का पावन सानिध्य भक्तों के जीवन का उद्वार कर उन्हें कल्याण की ओर अग्रसर करते हुए उनका ध्यान भगवान श्रीराम और माता जानकी के चरणों की ओर केंद्रित करता है। प्राचीन सतयुग कालीन श्रीनीलेश्वर मंदिर प्राचीन काल से ही भक्तों की आस्था एवं मनोरथ पूर्ति का केंद्र रहा है। तपस्वी साधु संतों की तपोस्थली रहा है।महंत सीताराम दास महाराज ने कहा संत महापुरुष इस पृथ्वी लोक पर चलते फिरते तीर्थ के सामान है,तीर्थ के दर्शन करने के लियें आपको खुद चलकर जाना पड़ता है, किंतु एक संत महापुरुष के रूप में आपको कभी भी कहीं भी संत महापुरुष रूपी तीर्थ के दर्शन हो सकते है।ं सतगुरु से बड़ा इस पृथ्वी लोक पर हमारा और कोई मार्गदर्शक हो ही नहीं सकता। श्रीगौरी शंकर महादेव मंदिर तथा प्राचीन सतयुगी नीलेश्वर महादेव मंदिर पर जो भी भक्त सच्चे मन और आस्था के साथ आता है भगवान भोलेनाथ की कृपा से उसे मनोवांछित फलों की प्राप्ति होती है। इस अवसर पर महंत सूरज दास महाराज,महंत कन्हैया दास महाराज,महंत सीताराम दास महाराज, महंत हरिदास महाराज,महंत शुक्र गिरी महाराज,महंत शत्रुघ्न दास महाराज,महंत हितेश दास महाराज, महंत दिनेश दास महाराज,महंत रितेश दास महाराज,महंत शांति प्रकाश महाराज,महंत प्रहलाद दास ,कोतवाल कमल मुनि महाराज,श्याम गिरी महाराज,कोतवाल रामदास महाराज,कोतवाल धर्मदास महाराज सहित बडी संख्या में साधु-संत,श्रद्वालुगण उपस्थित रहे।