सत्य, प्रेम,करूणा दिव्य संगीत के साथ श्रीराम कथा ‘मानस महाकुम्भ’’ का विराम
नौ दिवसीय श्री रामचरित्र मानस का आज विराम
प्रयागराज/हरिद्वार।परमार्थ निकेतन शिविर प्रयागराज में आयोजित नौ दिवसीय मानस महाकुम्भ‘श्री राम कथा’’का आज विराम हुआ। मानस कथा मर्मज्ञ,पूज्य मोरारी बापू के श्रीमुख से हो रही मानस कथा का विराम स्वामी चिदानन्द सरस्वती,आचार्य धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री और साध्वी भगवती सरस्वती के पावन सान्निध्य में हुआ। समापन अवसर पर,पूरे परमार्थ शिविर में एक अद्भुत आध्यात्मिक वातावरण था,जो श्रद्धालुओं और साधकों के मन को आत्मिक शांति और संतोष प्रदान कर रहा है। मानस कथा के यजमान जसानी परिवार और विश्वभर से आए श्रद्धालु गद्गद होकर अपने श्रद्धेय पूज्य संतों के श्रीमुख से मानस कथा सुनने के इस अभूतपूर्व अनुभव को अपने जीवन का अनमोल आशीर्वाद मानकर विदा ले रहे हैं। पूज्य बापू ने कथा के समापन अवसर पर कहा कि‘‘दुश्मन भी जिस पर विश्वास करता है ,वही साधु कहलाता है।’उन्होंने सत्य,प्रेम और करूणा के दिव्य संदेश के साथ सभी श्रद्धालुओं को आशीर्वाद देते हुये कहा कि मानस का पवित्रतम पाठ जीवन को संजीवनी प्रदान करने वाला है। उन्होंने सभी को याद दिलाया कि श्रीराम की कथा केवल एक साहित्यिक काव्य नहीं ,बल्कि यह अमूल्य खजाना है,जो हमारे जीवन को उच्च आध्यात्मिक दृष्टि और उन्नति प्रदान करता है। स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि आज मानस कथा का समापन हुआ और एक नए अध्याय की शुरुआत हुई। पूज्य बापू ने हम सभी को मानस सामवेद कथा की शुरुआत का आशीर्वाद प्रदान किया। यह मानस कथा का विराम नहीं,यह एक नए अध्याय की शुरुआत है जो कथा श्रवण करने वालों के हृदय में नित नए रूप में समाती है और हमें जीवन के सही मार्ग पर चलने की प्रेरणा देती है। आज बापू ने जो सत्य,प्रेम,और करूणा के शाश्वत आदर्शों का संदेश दिया उसे जीवन में उतारे। श्रीराम की कथा कभी समाप्त नहीं होती। प्रत्येक सुनने वाले के हृदय में यह कथा एक नया रूप लेकर बस जाती है और जीवन में नया प्रेरणा स्रोत बन जाती है। साध्वी भगवती सरस्वती ने कहा कि यह मानस कथा का समापन नहीं है,बल्कि यह हमारे भीतर की दिव्य शक्तियों व आत्मा को जगाने का एक नया प्रारंभ है। पूज्य बापू ने नौ दिनों तक हम सभी को जो संस्कार प्रदान किये हैं उन्हें अपने साथ प्रसाद स्वरूप लेकर जायें,यही इस दिव्य कथा का सार है। पूज्य बापू ने मानस सामवेद कथा की शुरुआत की घोषणा की,जो आगामी समय में एक और ऐतिहासिक अध्याय जोड़ने वाली होगी। नौ दिवसीय मानस महाकुम्भ के माध्यम से पूज्य बापू ने श्रीराम के जीवन के विविध पहलुओं पर दिव्यता व गहनता से प्रकाश डाला। मानस कथा यजमान जसानी परिवार और विश्व के अनेक देशों से आये श्रद्धालु गद्गद होकर अपने पूज्य संतों को विदा कर प्रस्थान हो रहे हैं। मानस मर्मज्ञ पूज्य बापू के श्रीमुख से हो रही दिव्य मानस कथा के समापन के अवसर पर श्रद्धालुगण भाव-विभोर थे।