अयोध्या शौर्य दिवस पर सभी बलिदानियों व शहीदों को नमन
श्रीरामचन्द्र जी और माता सीता जी के शुभविवाह ‘विवाह पंचमी’ की शुभकामनायें
ऋषिकेश/अयोध्या। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने आज अयोध्या शौर्य दिवस के अवसर पर सभी कारसेवकों,बलिदानियों और शहीदों को याद करते हुये उन्हें भावभीनी श्रद्धाजंलि अर्पित की। स्वामी जी ने कहा कि 6दिसम्बर 1992का दिन भारतीय इतिहास में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। यह दिन उन सभी बलिदानियों और शहीदों की याद दिलाता है जिन्होंने अपने प्राणों को अर्पित कर दिया। उन सभी को विनम्र श्रद्धांजलि और उनकी वीरता व बलिदान को नमन। स्वामी जी ने कहा कि अयोध्या केवल एक नगरी नहीं, बल्कि यह भारत की संस्कृति,धर्म और आध्यात्मिक चेतना का प्रतीक है। भगवान श्रीराम की जीवनगाथा हर मानव के लिए धर्म,कर्तव्य,और समर्पण का सजीव उदाहरण है। आज जब हम शौर्य दिवस मना रहे हैं,हमें याद रखना होगा कि यह दिवस केवल वीरता और विजय का प्रतीक नहीं है,बल्कि यह सत्य और धर्म की रक्षा हेतु त्याग,तप और संकल्प का स्मरण भी है। श्रीराम जी ने हमें सिखाया कि धर्म पर चलने का मार्ग कठिन हो सकता है,लेकिन यही मार्ग सच्चे कल्याण और शाश्वत शांति की ओर ले जाता है। पावन अयोध्या नगरी भगवान श्रीराम की जन्मभूमि और दिव्य आदर्शों की प्रेरणास्थली भी है जो आज शौर्य दिवस के रूप में गौरव के साथ अपनी महान सांस्कृतिक और धार्मिक परंपराओं का उत्सव मना रही है। अयोध्या नगरी वास्तव में भारत के सांस्कृतिक और धार्मिक पुनर्जागरण का केन्द्र है। अयोध्या,जो कभी विवादों और संघर्षों का विषय रही,अब शांति,सौहार्द और समर्पण का केंद्र बनकर उभर रही है। यह शौर्य दिवस हमें याद दिलाता है कि धर्म की विजय केवल बाहरी संघर्षों में नहीं,बल्कि आंतरिक अंधकार को मिटाने में है। स्वामी जी देशवासियों को विवाह पंचमी की शुभकामनायें देते हुये कहा कि आज का पावन दिन श्रीरामचन्द्र जी और माता सीता जी के विवाह का दिवस है,जो भारत की आध्यात्मिक परंपरा का एक महत्वपूर्ण पर्व है। स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने महापरिनिर्वाण दिवस के अवसर पर डॉ.बाबासाहेब अंबेडकर जी को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुये कहा कि समाज में व्याप्त सामाजिक अन्याय को समाप्त करने के उनकी भूमिका,संघर्ष और समर्पण अद्भुत है। डॉ.बाबासाहेब अंबेडकर जी ने भारतीय समाज के हर तबके,विशेष रूप से दलितों और पिछड़े वर्गों के लिए जो संघर्ष किया,वह इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाएगा।