प्रत्येक विद्यार्थी के जीवन में दीक्षांत समारोह महत्वपूर्ण

हरिद्वार। संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय वाराणसी के कुलपति प्रो. बिहारी लाल शर्मा ने आधार भाषण किया। उन्होंने कहा कि हरिद्वार भारतीय ज्ञान परम्परा का केन्द्र होने के साथ साथ प्राचीन विद्याओं का उद्गम स्थान भी है। उत्तराखण्ड संस्कृत विश्वविद्यालय से उपाधियां प्राप्त कर यहां के स्नातक विभिन्न क्षेत्रों में देश ही नहीं विदेशों में भी विश्वविद्यालय का गौरव बढ़ाएंगे। प्रत्येक विद्यार्थी के जीवन में दीक्षांत समारोह महत्वपूर्ण अवसर होता है, यह अवसर केवल उपाधियों के लिए ही नहीं बल्कि शिक्षा मूल्यों के विशिष्ट सिद्धान्तों को आत्मसात करने का अवसर भी होता है। उन्होंने कहा कि संस्कृत एक भाषा होने के साथ ही भरतीय जीवन दर्शन भी है।

एआई का प्रयोग कर संस्कृत को परिष्कृत करे

हद्विार। संस्कृत शिक्षा सचिव दीपक कुमार ने कहा कि कि हम एआई का प्रयोग करते हुए संस्कृत भाषा को और अधिक परिष्कृत कर सकते हैं। हमारे विभिन्न ग्रंथों में उपलब्ध मंत्रों में से कुछ मंत्र महामृत्युंजय, गायत्री, दुर्गासप्तशती में देवी कवच आदि मंत्रों पर अनुसंधान करने की आवश्यकता है। यदि विश्वविद्यालय इसको ध्येय बनाकर एक्शन रिसर्च पर कार्यवाही करता है, तो निश्चित रूप से विश्व में संस्कृत भाषा का यश फैलेगा।

गोल्ड मेडल से ये छात्र छात्राएं सम्मानित

दीक्षांत समारोह में मेधावी छात्र रितेश कुमार तिवारी,अभिषेक सैनी,कु.वंदना मौर्या,सूरज तिवाड़ी ,विनीता,हिमांशु मुण्डेेपी,शुभांगिनी तिवारी,सागर खेमरिया,परविन्दर सिंह,चन्द्र मोहन,ताजीम फात्मा ,उपासना वर्मा,निधि,ब्रजेश जोशी,देवव्रत, हिमांशु,सन्नी,अमित जोशी,सुबोध बहुगुणा,अनुराग शर्मा, अतुल ध्यानी,कु.प्रतिज्ञा चौहान,भारत कुमार,पवन जोशी,निधि,शिफालीय अफरीन,नीतू तलवार ,गुरमीत सैन,कु.स्वाति,मनीष शर्मा को स्वर्ण पदक से सम्मानित किया गया।