भारत शिक्षा के क्षेत्र में विश्व गुरु के रूप में परचम फहराएगा-डॉ.धन सिंह रावत
प्रदेश के शिक्षा मंत्री आर्य समाज के 150वर्ष पूरे होने पर आयोजित समारोह में हुये शामिल
हरिद्वार। गुरुकुल कांगड़ी विद्यालय विभाग द्वारा जनपदीय त्रियोभाषा-भाषण प्रतियोगिता महर्षि दयानन्द सरस्वती की 200वीं जयन्ती एवं आर्य समाज के 150वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय के सभागार में प्रदेश के शिक्षा,स्वास्थ्य और संस्कृत मंत्री डॉ.धन सिंह रावत ने मुख्य अतिथि बतौर कहा कि भारत शिक्षा के क्षेत्र में विश्व गुरु के रूप में परचम फहराएगा। आज की युवा पीढ़ी शिक्षा के साथ तकनीकी क्षेत्र में बहुत तेजी से आगे बढ़ रही है,जिससे हमारा भारत विकसित राष्ट्र के रूप में उभरेगा। बच्चे बहुयामी व्यक्तित्व के रूप में उभरते जा रहे है। उन्होंने कहा कि 2047 तक भारत में नयी पद्धति के रूप में शिक्षा को बढ़ाना होगा,संचार क्रांति में अभूतपूर्व परिवर्तन आ रहे है। आज जिलेभर से विभिन्न विद्यालयों से बच्चों ने त्री-भाषा प्रतियोगिता में भाग लिया और बेबाग होकर भाषा को उजागर किया। उन्होंने गुरुकुल कांगड़ी विद्यालय को पूर्ण सहयोग करने का आश्वासन भी दिया। इस अवसर पर धन सिंह रावत ने भरत सिंह ट्रायल पुस्तिका का विमोचन किया। विश्वविद्यालय के कुलाधिपति डा0 सत्यपाल ने मुख्य अतिथि बतौर प्रतियोगिता का उद्घाटन करते हुए कहा कि वाद-विवाद प्रतियोगिता में मुख्य घटक वाणी होती है। वाणी का विकास जब परिपूर्ण होता है तब प्रतियोगी का व्यक्तित्व निखरता है। वाणी से प्रतियोगी के व्यक्तित्व के झलक को समझा जा सकता है। जिस तरह से संगीत वाद्य यंत्र की पहचान उसके स्वर से होती है। उसी तरह से प्रतियोगी की पहचान उसकी वाणी से होती है। भाषण का अन्दाज,वाणी से झलकता भाव सुनने वाले अनेक व्यक्तियों पर अपना प्रभाव डालता है। अच्छी वाणी (भाषण) बोलने वाला व्यक्ति शिक्षक,राजनेता और सन्यासी बन सकता है। भाषण प्रतियोगिता में अच्छा भाषण साधन है और प्रतियोगिता साध्य है। स्वामी आर्यवेश प्रधान, सार्वदेशिक आर्य प्रतिनिधि सभा,नई दिल्ली ने त्रि-भाषा-भाषण प्रतियोगिता के कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुऐ कहा कि वाणी प्रत्येक प्रतियोगी की अनुपम देन है। प्रतियोगी का भाषा (वाणी) पर विशेष अधिकार है। भाषा के कारण प्रतियोगी (वक्ता)अपनी अभिव्यक्ति का साक्षात्कार कर सकता है। प्रतियोगी की वाणी में मधुरता का जितना अंश होगा वह समाज प्रिय बन सकता है। आज यह प्रतियोगिता हिन्दी, अंग्रेजी और संस्कृत भाषा में अलग-अलग शीर्षकों पर आयोजित हो रही है। इस त्रिभाषा -प्रतियोगिता का सन्देश समाज में फैलेगा। उन्होंने कहा कि प्रतियोगिता में पारदर्शिता बनाये रखना अत्यंत आवश्यक है। प्रत्येक प्रतिभागी अपने संस्थान का प्रतिनिधित्व कर रहा है। गुरुकुल कांगड़ी विद्यालय के मुख्यधिष्ठाता डा. दीनानाथ शर्मा ने कहा कि उत्तराखण्ड को देवभूमि के नाम से जाना जाता है जिसकी मातृ भाषा संस्कृत है। देश में यह पहला राज्य है जहां पर संस्कृत भाषा को प्रमुखता से लागू किया गया है। संस्कृत हिन्दी भाषा की जननी है और हिन्दी देश की मातृ भाषा है। त्रि-भाषा-प्रतियोगिता में तीन भाषाओं का संगम बनाया गया है भाषाओं में निपूर्ण होने से प्रतियोगी का व्यक्तित्व निखरता है। प्रतियोगी नहीं बोलता है बल्कि उसकी भाषा प्रतियोगिता का आभा बनती है। अच्छी भाषा का प्रतियोगिता में प्रदर्शन करने वाला प्रतियोगी छात्र एवं छात्रा संस्था का दर्पण बनता है। गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्याल य की कुलपति प्रो हेमलता के. ने कहा कि त्री भाषीय प्रतियोगिता कराकर गुरुकुल का नाम विद्यालय विभाग ने रोशन किया हैद्य इस तरह की प्रतियोगिताये समय-समय पर होनी चाहिए जिससे विद्यार्थियों का व्यक्तित्व निखरता हैद्य कुलसचिव प्रो.सुनील कुमार ने कहा कि गुरुकुल विद्यालय बच्चों को संस्कार देने की प्रयोगशाला है,जहा पर बच्चों में राष्ट्रवाद की भावना गढ़ी जाती है। बच्चों में वाद विवाद प्रतियोगिता में भाषा का ज्ञान पैदा होता है। रानीपुर विधायक आदेश चौहान ने कहा कि गुरुकुल कांगड़ी विद्यालय विभाग राष्ट्र और संस्कार शिक्षा देने वाला इकलौता हरिद्वार में विद्यालय है,जहा पर प्रत्येक दिन सुबह और शाम वैदिक मन्त्रों के साथ यज्ञ किया जाता है। इस दौरान भाजपा के जिलाध्यक्ष संदीप गोयल,आशुतोषशर्मा,विक्रम भुल्लर,प्रो.दिनेशचन्द्र शास्त्री,कुलपति,उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय,प्रमोद कुमार,डॉ.पंकज कौशिक,रजनीश भारद्वाज,नरेन्द्र मलिक,धर्मेन्द्र बालियान,रोहित बालियान ,रविकांत मलिक,जितेन्द्र वर्मा,अशोक आर्य,डॉ.हुकुम चन्द्र,अश्वनी कुमार,धीरज कौशिक,अमर सिंह,डॉ.ब्रजेश सिंह,योगेश सिंह,योगेश शर्मा,वेदपाल सिंह,अमित कुमार,राजकमल,अशोक कुमार,विजय कुमार,गौरव शर्मा, लोकेश सिंह,धर्म सिंह,धर्मेन्द्र आर्य,मामराज,तुषार,सत्यवीर,फ़कीर चन्द्र,दिनेश चन्द्र,सज्जन, रोहित, धर्मेन्द्र,योगेश,प्रभात,डॉ.संदीप उनियाल सहित अन्य कर्मचारी व् ब्रह्मचारी उपस्थित रहे। कार्यक्रम का सञ्चालन डॉ.योगेश शास्त्री ने किया।