हिन्दी दिवस पर एसएमजेएन कालेज में किया कार्यक्रम का आयोजन

 हिंदी मात्र भाषा नही भारत की पहचान है- श्रीमहंत रविन्द्रपुरी


हरिद्वार। हिन्दी दिवस के अवसर पर एसएमजेएन कालेज में आन्तरिक गुणवत्ता आश्वासन प्रकोष्ठ,हिन्दी विभाग,हरिद्वार नागरिक मंच तथा इनरव्हील क्लब हरिद्वार द्वारा संयुक्त रूप से कार्यक्रम का आयोजन किया गया। अखाड़ा परिषद एवं कालेज प्रबंध समिति के अध्यक्ष श्रीमहंत रविन्द्रपुरी ने हिंदी दिवस की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि हिंदी मात्र एक भाषा नही बल्कि हमारी सांस्कृतिक धरोहर और भारत की पहचान हैं। उन्होंने कहा कि विदेशी धरती पर जब कोई हिंदी भाषा का प्रयोग करते हुए मिलता हैं तो उसका भारतीयता से जुड़ाव साफ झलकता हैं। उन्होंने कहा कि आज समय है कि युवा हिंदी के प्रचार प्रसार के लिए कार्य करे तथा अपनी जड़ों से जुडं़े। इस अवसर पर ईशा कश्यप,संजय और अपराजिता ने कविता का पाठ किया। इस कार्यक्रम में भारतेंदु हरिश्चंद्र द्वारा रचित नाटक अंधेर नगरी चौपट राजा का मंचन भी किया गया। जिसमे ओमिशा,चारु,इशिका,मानसी,अंशिका,कामक्षा,आंचल,कशिश, मोनिका ,टिया,देविका,चमन,महक आदि ने प्रतिभाग किया। हिंदी विभाग की डा.आशा शर्मा ने कार्यक्रम का संचालन करते हुए मानस भवन में आर्यजन, जिसकी उतारे आरती। भगवान भारतवर्ष में गूंजे हमारी भारती गीत प्रस्तुत कर सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। डा.लता शर्मा ने गीत तथा डा.रेणु सिंह ने कविता की सुंदर प्रस्तुति दी। कालेज के प्राचार्य प्रो.सुनील कुमार बत्रा ने कहा कि हिंदी भारत की सांस्कृतिक और भाषाई पहचान की आधारशिला हैं। हिंदी को समृद्ध किए बिना देश आगे नहीं बढ़ सकता। उन्होंने कहा कि हिंदी के विकास के लिए हिन्दी को रोज़गार से जोड़ना होगा तभी हिन्दी को संबल मिलेगा। अधिष्ठाता छात्र कल्याण डा.संजय माहेश्वरी ने कहा कि इतिहास साक्षी रहा है कि हिंदी भाषा ने देश की एकता को बनाए रखने में महती भूमिका निभाई है। कार्यक्रम के संयोजक मंडल की ओर से डा.मोना शर्मा तथा डा.अनुरीषा ने कार्यक्रम में उपस्थित प्रतिभागियों का धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम में प्रो.जेसी आर्य,प्रो.विनय थपलियाल,डा.शिवकुमार चौहान,डा.पूर्णिमा सुंदरियाल,डा.सरोज शर्मा,डा.मीनाक्षी शर्मा,डा.पदमावती तनेजा,डा.विनीता चौहान,डा.पल्लवी राणा,विनीत सक्सेना,यादवेन्द्र सिंह ,मोहन चन्द्र पाण्डेय सहित महाविद्यालय के शिक्षक,शिक्षणेत्तर कर्मचारी व छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।