जहां संत विराजते हैं,वह स्थान स्वयं तीर्थ बन जाता है-स्वामी श्रवणानंद सरस्वती

 ईश्वर की अनुभूति ही हमें आत्म साक्षात्कार की ओर ले जाती है-महामंडलेश्वर संतोषी माता

हरिद्वार। संतोषी माता आश्रम में श्रीमद् देवी भागवत पुराण कथा ज्ञानयज्ञ समारोह एवं संन्यास स्वर्ण जयंती समारोह का आठवां दिन था। कथा का विस्तार करते हुए कथा व्यास पीठ से कथावाचक स्वामी श्रवणानंद सरस्वती महाराज वृंदावन वालों ने कहा कि जहां संत विराजते हैं,वह स्थान स्वयं तीर्थ बन जाता है। संतों की महिमा अपरंपार है। संत ही ईश्वर पर पहुंचने का रास्ता बताते हैं। महामंडलेश्वर स्वामी संतोषी माता ने कहा कि ईश्वर का आश्रय ही सुकून देता है। और ईश्वर हमारे साथ हर पल और हर क्षण खड़े हैं। ईश्वर की अनुभूति ही हमें आत्म साक्षात्कार की ओर ले जाती है। उन्होंने कहा कि देवी मां अलौकिक दिव्य शक्ति से हमारा संरक्षण करती हैं। मां की कृपा और महिमा हमें हर समय सत्य की ओर ले जाती है और नकारात्मक कार्यों से मुक्ति दिलाती है। महामंडलेश्वर संतोषी माता ने कहा कि वृंदावन में जो हर कोई राधे राधे करता है राधे की शक्ति ही हमें कृष्ण से मिलाती है। शक्ति के बिना शिव शव समान है। इसीलिए शक्ति को सर्वोच्च माना गया है। श्रीमद् देवी भागवत पुराण कथा का श्रवण प्राप्त करने के लिए आज मुख्य ट्रस्टी अशोक शांडिल्य श्याम सुंदर अग्रवाल ईश्वर अग्रवाल सरोज अग्रवाल आदि उपस्थित थे। कार्यक्रम के मुख्य संयोजक अशोक शांडिल ने बताया कि प्रसिद्ध फिल्म अभिनेत्री सांसद हेमा मालिनी कल शाम तथा समाप्ति के बाद गंगा अवतरण का मंचन करेंगी।