हरिद्वार। पतंजलि विश्वविद्यालय में आयोजित दो दिवसीय अभिभावक बैठक में विभिन्न प्रांतों के विद्यार्थियों के अभिभावकगण अपने पाल्यों के मूल्यांकन एवं अन्य जानकारियों को साझा करने हेतु उपस्थित हुए। इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में कुलाधिपति स्वामी रामदेव ने उपस्थित अभिभावकों को सम्बोधित करते हुए कहा कि आपके संतति को श्रेष्ठ बनाने में पतंजलि विश्वविद्यालय बड़ी भूमिका का निर्वहन कर रहा है। हमारा उद्देश्य विद्यार्थियों को श्रेष्ठ आचरण से युक्त बनाना है। स्वामी जी ने कहा कि संघर्षों,चुनौतियों और अभावों में पलने वाले बच्चों में पुरुषार्थ की पराकाष्ठा रहती है। संसार में मनुष्य भौतिकता को श्रेष्ठ मानता है लेकिन हमारा मानना है कि चरित्र सर्वश्रेष्ठ है,उज्ज्वल चरित्र से ही व्यक्ति सफलता प्राप्त करता है। उन्होंने कहा कि हम जितना लक्ष्य निर्धारित करते हैं उससे कहीं अधिक सफलता अर्जित करते हैं। स्वामी जी ने उपस्थित विद्यार्थियों से कहा कि जीवन के मूल्यों के साथ कभी समझौता न करें तथा पुरुषार्थ को जगाने के लिए योग को अपने जीवन में आत्मसात करें। अखण्ड प्रचण्ड पुरुषार्थ व संकल्पित होकर कठोर तपस्या करें,निश्चित ही आपका मंगल होगा। इस अवसर पर प्रति कुलपति प्रो.महावीर अग्रवाल ने कहा कि विद्यार्थी समग्र प्रयास से उन्नति की ओर अग्रसर हों,ईश्वरीय उपासना से दैवीय भाव जागृत करें। कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के प्रति- कुलपति प्रो.सत्येन्द्र मित्तल, कुलानु शासक स्वामी आर्शदेव,परीक्षा नियंत्रक प्रो.ए.के.सिंह,छात्रवास अधीक्षिका साध्वी देव प्रतिष्ठा ,छात्रवास अधीक्षक डॉ.ललित चौधरी,संगीत विभाग प्रमुख चन्द्रमोहन एवं विश्वविद्यालय के समस्त अधिकारियों सहित प्राध्यापकगण उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन स्वामी आर्शदेव ने किया।
आपके संतति को श्रेष्ठ बनाने में पतंजलि विश्वविद्यालय की बड़ी भूमिका: स्वामी रामदेव
हरिद्वार। पतंजलि विश्वविद्यालय में आयोजित दो दिवसीय अभिभावक बैठक में विभिन्न प्रांतों के विद्यार्थियों के अभिभावकगण अपने पाल्यों के मूल्यांकन एवं अन्य जानकारियों को साझा करने हेतु उपस्थित हुए। इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में कुलाधिपति स्वामी रामदेव ने उपस्थित अभिभावकों को सम्बोधित करते हुए कहा कि आपके संतति को श्रेष्ठ बनाने में पतंजलि विश्वविद्यालय बड़ी भूमिका का निर्वहन कर रहा है। हमारा उद्देश्य विद्यार्थियों को श्रेष्ठ आचरण से युक्त बनाना है। स्वामी जी ने कहा कि संघर्षों,चुनौतियों और अभावों में पलने वाले बच्चों में पुरुषार्थ की पराकाष्ठा रहती है। संसार में मनुष्य भौतिकता को श्रेष्ठ मानता है लेकिन हमारा मानना है कि चरित्र सर्वश्रेष्ठ है,उज्ज्वल चरित्र से ही व्यक्ति सफलता प्राप्त करता है। उन्होंने कहा कि हम जितना लक्ष्य निर्धारित करते हैं उससे कहीं अधिक सफलता अर्जित करते हैं। स्वामी जी ने उपस्थित विद्यार्थियों से कहा कि जीवन के मूल्यों के साथ कभी समझौता न करें तथा पुरुषार्थ को जगाने के लिए योग को अपने जीवन में आत्मसात करें। अखण्ड प्रचण्ड पुरुषार्थ व संकल्पित होकर कठोर तपस्या करें,निश्चित ही आपका मंगल होगा। इस अवसर पर प्रति कुलपति प्रो.महावीर अग्रवाल ने कहा कि विद्यार्थी समग्र प्रयास से उन्नति की ओर अग्रसर हों,ईश्वरीय उपासना से दैवीय भाव जागृत करें। कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के प्रति- कुलपति प्रो.सत्येन्द्र मित्तल, कुलानु शासक स्वामी आर्शदेव,परीक्षा नियंत्रक प्रो.ए.के.सिंह,छात्रवास अधीक्षिका साध्वी देव प्रतिष्ठा ,छात्रवास अधीक्षक डॉ.ललित चौधरी,संगीत विभाग प्रमुख चन्द्रमोहन एवं विश्वविद्यालय के समस्त अधिकारियों सहित प्राध्यापकगण उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन स्वामी आर्शदेव ने किया।