आधुनिक समय की मांग है एआई रेटिना स्केन एवं आइरिडोलॉजी-डा.केपीएस चौहान

 


हरिद्वार। बालाजी इंस्टीट्यूट ऑफ अल्टरनेटिव मेडिकल साइंस मे वर्कशॉप एवं पुस्तक विमोचन तथा वार्षिक उत्सव समारोह आयोजित किया गया। समारोह का शुभारंभ मुख्य अतिथि इएमए के राष्ट्रीय अध्यक्ष डा.केपीएस चौहान,राष्ट्रीय महासचिव डा.एनएस टाकुली,प्रदेश अध्यक्ष डा.मुकेश चौहान,प्राचार्या डा.वीएल अलखनिया,इएमए सहारनपुर के संस्थापक डा.महेश कौरी ने संयुक्त रूप से दीप जलाकर किया। समारोह में ऑस्ट्रिया के वैज्ञानिक डा.मार्टिन वैगल तथा भारत के वैज्ञानिक डा.देबाशीष कुंडु एवं आइरिडोलोजिस्ट डा.केपीएस चौहान के सानिध्य मे लिखित पुस्तक आर्टीफिशियल इंटेलीजेंस एंड आइरिडोलोजी का विमोचन भी किया गया। इस अवसर पर डा.केपीएस चौहान ने कहा कि एआई रेटिना स्केन टैक्नोलॉजी एंड आइरिडोलॉजी आधुनिक समय की मांग है। इस ओटोमेटिड रैटिनल डिजीज असैसमैंट (एआर डीए) तकनीक में पारंपरिक नैदानिक तरीके सीटी स्कैन, एमआरआई, एक्सरे की जगह लेने की शक्ति है। डा.चौहान ने बताया कि पुस्तक में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एंड आइरिस स्केनिंग टेक्नोलॉजी पर आधारित शरीर में भूत काल,वर्तमान एवं भविष्य में होने वाली बीमारियों के निदान करने की विधि उल्लेखित है। आइरिस एनालाइसिस रोग निदान की वह एडवांस तकनीक है। जिसमें शरीर के अंगों के रोगग्रस्त होने के संकेत पहले ही मिल जाते हैं। जिससे हम अपने अंगों को कोलैप्स होने से बचाकर स्वास्थ्य को कायम रखते हैं। उदाहरणार्थ हृदयाघात,रीनल फेल्योर, लीवर फेल्योर। डा.चौहान ने कहा पुस्तक छात्रों एवं चिकित्सकों,आम जनता के स्वस्थ स्वास्थ्य को कायम रखने तथा रोगियों में बीमारियों का निदान करने में मील का पत्थर साबित होगी। समारोह में एडवांस डायग्नोसिस एंड इएच ट्रीटमेंट विषय पर वर्कशॉप भी आयोजित की गई। डा.चौहान ने कहा कि रोग निदान मे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस वक्त की जरूरत है। डायबिटी ज,हार्ट स्ट्रोक,आर्थराइटिस आदि अन्य बीमारियों का शरीर में उत्पन्न होने से पूर्व ही इस जांच से पता चल जाता है। अर्थात एआई एंड आइरिडोलोजी शरीर के स्वास्थ्य के लिए एक ज्योतिषीय टेक्नोलॉजी भी है।