सनातन धर्म संस्कृति के संरक्षण संवर्द्धन में संत समाज का अहम योगदान-महंत भगतराम

 समाज का मार्गदर्शन करना ही संत समाज का लक्ष्य-महंत सुतिक्ष्ण मुनि


हरिद्वार। श्रीचंद्र जयंती केे उपलक्ष्य में कनखल स्थित श्रीअवधूत जगतराम उदासीन आश्रम में संत समागम का आयोजन किया गया। आश्रम के महंत सुतिक्ष्ण मुनि के संयोजन में आयोजित संत समागम में सभी तेरह अखाड़ों के संतों ने भगवान श्रीचंद को नमन किया। श्री पंचायती अखाड़ा नया उदासीन के मुखिया महंत भगतराम महाराज ने कहा कि भगवान शिव के अवतार भगवान श्रीचंद्र ने हिंदू धर्म को बचाने के लिए पूरे देश का भ्रमण कर समाज को एकजुट किया। भगवान श्रीचंद्र के दिखाए मार्ग पर चलते हुए संत समाज सनातन धर्म संस्कृति के संरक्षण संवर्द्धन में अपना योगदान कर रहा है। श्रीपंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी के सचिव श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज ने कहा कि निर्मल जल के समान जीवन व्यतीत करते हुए सदैव मानव कल्याण के लिए प्रयत्नशील रहने वाले संत महापुरूषों का जीवन समाज के लिए प्रेरणादायी है। उन्होंने कहा कि जन-जन के आराध्य भगवान श्रीचंद्र की शिक्षाएं सदैव समाज का मार्गदर्शन करती रहेंगी। महामंडलेश्वर स्वामी भगवतस्वरूप,महामंडलेश्वर स्वामी हरिचेतना नंद,महामंडलेश्वर स्वामी शिवानंद व स्वामी रविदेव शास्त्री ने कहा कि सनातन धर्म संस्कृति विश्व की सबसे श्रेष्ठ संस्कृति है। भगवान श्रीचंद्र द्वारा स्थापित आदर्श परंपरांओं को संत महापुरूष आगे बढ़ा रहे हैं। श्रीअवधूत जगतराम उदासीन आश्रम के महंत सुतिक्ष्ण मुनि ने सभी संतजनों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि भगवान श्रीचंद्र की शिक्षाओं और उपदेशों को आत्मसात कर संत परंपराओं को आगे बढ़ाते हुए समाज का मार्गदर्शन करना ही संत समाज का लक्ष्य है। इस अवसर पर कोठारी महंत राघवेंद्र दास,कोठारी महंत जसविन्दर सिंह, स्वामी अनंतानंद,श्रीमहंत जगतार मुनि,महंत आकाश मुनि, महंत मंगलदास,महंत मोहन सिंह,महंत तीरथ सिंह,स्वामी दिनेश दास,स्वामी चिदविलासानंद,महंत निर्भय सिंह,स्वामी कृष्णानंद,महंत रघुवीर दास,महंत दुर्गादास,महंत प्रह्लाद दास,महंत प्रबोधानांद गिरी,महंत अरूणदास,महंत मुरली दास ,स्वामी राममुनि,महंत गंगादास उदासीन,महंत विनोद महाराज,महंत श्यामप्रकाश सहित बड़ी संख्या में संत और श्रद्धालु उपस्थित रहे।