हरिद्वार। श्री गंगा भक्ति आश्रम परमाध्यक्ष श्रीमहंत स्वामी कमलेशानंद सरस्वती जी महाराज ने कहा है कि गुरु भगवान की प्रतिमूर्ति होता है तथा शिष्य को सांसारिक बंधनों से मुक्त करवा कर भगवत कृपा की अनुभूति करता है। वे आज खड़खड़ी स्थित गंगा भक्ति आश्रम में अपने पूज्य सद्गुरुदेव साकेतवासी स्वामी राघवानंद सरस्वती जी की तृतीय पुण्यतिथि के उपलक्ष्य में आयोजित श्रद्धांजलि सभा में पधारे संतमहापुरुषों का आभार प्रकट कर रहे थे। हरिद्वार में गंगा भक्ति आश्रम तथा वृंदावन में यमुना विहारी आश्रम में चलाए जा रहे सेवा प्रकल्पों की जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि संत केवल शरीर का ही परित्याग करते हैं उनकी आत्मा सदैव अपने शिष्य एवं भक्तों के साथ रहती है,और उन्हीं की कृपा का प्रसाद है कि सेवा प्रकल्पों में लगातार वृद्धि हो रही है,इसके लिए आश्रम के सभी अनुयायी साधुवाद के पात्र हैं। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष तथा महानिर्वाणी अखाड़ा के सचिव श्रीमहंत रवींद्र पुरी महाराज ने स्वामी राघवानंद सरस्वती को संतत्व की सच्ची प्रतिमूर्ति बताते हुए कहा कि हम सबको उनसे प्रेरणा लेनी चाहिए। श्रद्धांजलि सभा को अध्यक्षीय पद से संबोधित करते हुए जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी शारदानंद सरस्वती ने कहा कि स्वामी राघवानंद सरस्वती धर्म और संस्कृति के सच्चे संवाहक थे तथा संत एकता के लिए सदैव प्रयासरत रहते थे। महामंडलेश्वर स्वामी भास्करानंद ने उनके साथ गुजारे जीवन के संस्मरण सुनाते हुए कहा कि धर्म,संस्कृति और तीर्थ स्थलों की मर्यादा के लिए वे सदैव समर्पित भावना से कार्य करते थे। बड़ा अखाड़ा उदासीन के कोठारी श्रीमहंत राघवेंद्र दास ने गंगाभक्ति पीठाधीश्वर स्वामी कमलेशानंद सरस्वती के उज्जवल भविष्य की कामना करते हुए कहा कि सच्चे गुरु को ही अच्छे शिष्य की प्राप्ति होती है। श्रद्धांजलि सभा का संचालन स्वामी सत्यव्रतानंद सरस्वती ने किया। स्वामी राघवानंद सरस्वती को श्रद्धांजलि देने वालों में प्रमुख थे महामंडलेश्वर स्वामी अनंतानंद ,महामंडलेश्वर स्वामी ललितानंद गिरी,महामंडलेश्वर स्वामी रूपेंद्र प्रकाश,महंत ज्ञानानंद,स्वामी रविदेव शास्त्री, स्वामी हरिहरानंद,महंत कृष्णदेव,स्वामी हरि बल्लभ दास शास्त्री,ऋषि रामकृष्ण तथा महंत सुभम गिरी सहित वृंदावन एवं हरिद्वार के सैकड़ो संतों एवं हजारों अनुवायी तथा भक्तों ने स्वामी राघवानंद सरस्वती को श्रद्धा सुमन अर्पित कर गुरु गद्दी का आशीर्वाद प्राप्त किया।
संतत्व की सच्ची प्रतिमूर्ति थे साकेतवासी स्वामी राघवानंद सरस्वती - श्रीमहंत रवींद्र पुरी
हरिद्वार। श्री गंगा भक्ति आश्रम परमाध्यक्ष श्रीमहंत स्वामी कमलेशानंद सरस्वती जी महाराज ने कहा है कि गुरु भगवान की प्रतिमूर्ति होता है तथा शिष्य को सांसारिक बंधनों से मुक्त करवा कर भगवत कृपा की अनुभूति करता है। वे आज खड़खड़ी स्थित गंगा भक्ति आश्रम में अपने पूज्य सद्गुरुदेव साकेतवासी स्वामी राघवानंद सरस्वती जी की तृतीय पुण्यतिथि के उपलक्ष्य में आयोजित श्रद्धांजलि सभा में पधारे संतमहापुरुषों का आभार प्रकट कर रहे थे। हरिद्वार में गंगा भक्ति आश्रम तथा वृंदावन में यमुना विहारी आश्रम में चलाए जा रहे सेवा प्रकल्पों की जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि संत केवल शरीर का ही परित्याग करते हैं उनकी आत्मा सदैव अपने शिष्य एवं भक्तों के साथ रहती है,और उन्हीं की कृपा का प्रसाद है कि सेवा प्रकल्पों में लगातार वृद्धि हो रही है,इसके लिए आश्रम के सभी अनुयायी साधुवाद के पात्र हैं। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष तथा महानिर्वाणी अखाड़ा के सचिव श्रीमहंत रवींद्र पुरी महाराज ने स्वामी राघवानंद सरस्वती को संतत्व की सच्ची प्रतिमूर्ति बताते हुए कहा कि हम सबको उनसे प्रेरणा लेनी चाहिए। श्रद्धांजलि सभा को अध्यक्षीय पद से संबोधित करते हुए जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी शारदानंद सरस्वती ने कहा कि स्वामी राघवानंद सरस्वती धर्म और संस्कृति के सच्चे संवाहक थे तथा संत एकता के लिए सदैव प्रयासरत रहते थे। महामंडलेश्वर स्वामी भास्करानंद ने उनके साथ गुजारे जीवन के संस्मरण सुनाते हुए कहा कि धर्म,संस्कृति और तीर्थ स्थलों की मर्यादा के लिए वे सदैव समर्पित भावना से कार्य करते थे। बड़ा अखाड़ा उदासीन के कोठारी श्रीमहंत राघवेंद्र दास ने गंगाभक्ति पीठाधीश्वर स्वामी कमलेशानंद सरस्वती के उज्जवल भविष्य की कामना करते हुए कहा कि सच्चे गुरु को ही अच्छे शिष्य की प्राप्ति होती है। श्रद्धांजलि सभा का संचालन स्वामी सत्यव्रतानंद सरस्वती ने किया। स्वामी राघवानंद सरस्वती को श्रद्धांजलि देने वालों में प्रमुख थे महामंडलेश्वर स्वामी अनंतानंद ,महामंडलेश्वर स्वामी ललितानंद गिरी,महामंडलेश्वर स्वामी रूपेंद्र प्रकाश,महंत ज्ञानानंद,स्वामी रविदेव शास्त्री, स्वामी हरिहरानंद,महंत कृष्णदेव,स्वामी हरि बल्लभ दास शास्त्री,ऋषि रामकृष्ण तथा महंत सुभम गिरी सहित वृंदावन एवं हरिद्वार के सैकड़ो संतों एवं हजारों अनुवायी तथा भक्तों ने स्वामी राघवानंद सरस्वती को श्रद्धा सुमन अर्पित कर गुरु गद्दी का आशीर्वाद प्राप्त किया।