ऋषिकेश। परमार्थ विद्या मन्दिर और परमार्थ नारी शक्ति केन्द्र में आज बड़े ही धूमधाम से हरियाली तीज मनायी गयी। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती और डिवाइन शक्ति फाउंडेशन की अध्यक्ष साध्वी भगवती सरस्वती के आशीर्वाद से परमार्थ विद्या मन्दिर के छात्र-छात्राओं और शिक्षिकाओं ने विद्यालय परिसर में पौधा रोपण कर प्रकृति व संस्कृति के संरक्षण का संदेश दिया। हरियाली तीज,भगवान शिव और देवी पार्वती के दिव्य मिलन का प्रतीक है। शास्त्रों में उल्लेख मिलता है कि देवी पार्वती ने 108जन्मों तक कठोर तपस्या की। भगवान शिव के प्रति उनकी भक्ति, प्रेम और अटूट आस्था थी,उसी के प्रतीक के रूप में प्रतिवर्ष हरियाली तीज मनायी जाती है। हरियाली तीज,प्रकृति और संस्कृति के संरक्षण का प्रतीक है। श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को महिलाएं हरे रंग के वस्त्र पहनती हैं,झूला झूलती हैं और लोकगीत गाती हैं तथा शिव-पार्वती की पूजा करती हैं। यह पर्व समर्पण और समृद्ध वैवाहिक जीवन का प्रतीक है। हरियाली तीज का मुख्य उद्देश्य प्रकृति के प्रति सम्मान और संरक्षण को प्रोत्साहित करना है। यह पर्व न केवल महिलाओं के सौंदर्य और श्रृंगार का प्रतीक है,बल्कि यह प्रकृति के सौंदर्य और श्रृंगार का भी प्रतीक है,जो हमें प्रकृति के साथ गहरे संबंधों को भी दर्शाता है। हरियाली तीज का उत्सव मनाने के साथ ही अपने घरों और आस-पास के क्षेत्रों में पेड़-पौधों का रोपण अवश्य करें। जिससे पर्यावरण संरक्षण का संदेश आने वाली पीढ़ियों को भी प्राप्त हो सके। विद्यालय परिसार में आवंले के पौधों का रोपण कर पर्वों के अवसर पर पेड़-पौधे लगाने की परंपरा को आत्मसात करने का संदेश दिया। विद्यार्थियों को धरती को हरा-भरा बनाए रखने का संकल्प कराया। हरियाली तीज के इस पावन अवसर पर सभी ने मिलकर पर्यावरण संरक्षण और संस्कृति के संरक्षण का संकल्प लिया। सभी ने हर्षोल्लास के साथ हरियाली तीज का पर्व मनाया।
हरियाली तीज न केवल महिलाओं,बल्कि प्रकृति के सौंदर्य और श्रृंगार का भी प्रतीक है-स्वामी चिदानन्द सरस्वती
ऋषिकेश। परमार्थ विद्या मन्दिर और परमार्थ नारी शक्ति केन्द्र में आज बड़े ही धूमधाम से हरियाली तीज मनायी गयी। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती और डिवाइन शक्ति फाउंडेशन की अध्यक्ष साध्वी भगवती सरस्वती के आशीर्वाद से परमार्थ विद्या मन्दिर के छात्र-छात्राओं और शिक्षिकाओं ने विद्यालय परिसर में पौधा रोपण कर प्रकृति व संस्कृति के संरक्षण का संदेश दिया। हरियाली तीज,भगवान शिव और देवी पार्वती के दिव्य मिलन का प्रतीक है। शास्त्रों में उल्लेख मिलता है कि देवी पार्वती ने 108जन्मों तक कठोर तपस्या की। भगवान शिव के प्रति उनकी भक्ति, प्रेम और अटूट आस्था थी,उसी के प्रतीक के रूप में प्रतिवर्ष हरियाली तीज मनायी जाती है। हरियाली तीज,प्रकृति और संस्कृति के संरक्षण का प्रतीक है। श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को महिलाएं हरे रंग के वस्त्र पहनती हैं,झूला झूलती हैं और लोकगीत गाती हैं तथा शिव-पार्वती की पूजा करती हैं। यह पर्व समर्पण और समृद्ध वैवाहिक जीवन का प्रतीक है। हरियाली तीज का मुख्य उद्देश्य प्रकृति के प्रति सम्मान और संरक्षण को प्रोत्साहित करना है। यह पर्व न केवल महिलाओं के सौंदर्य और श्रृंगार का प्रतीक है,बल्कि यह प्रकृति के सौंदर्य और श्रृंगार का भी प्रतीक है,जो हमें प्रकृति के साथ गहरे संबंधों को भी दर्शाता है। हरियाली तीज का उत्सव मनाने के साथ ही अपने घरों और आस-पास के क्षेत्रों में पेड़-पौधों का रोपण अवश्य करें। जिससे पर्यावरण संरक्षण का संदेश आने वाली पीढ़ियों को भी प्राप्त हो सके। विद्यालय परिसार में आवंले के पौधों का रोपण कर पर्वों के अवसर पर पेड़-पौधे लगाने की परंपरा को आत्मसात करने का संदेश दिया। विद्यार्थियों को धरती को हरा-भरा बनाए रखने का संकल्प कराया। हरियाली तीज के इस पावन अवसर पर सभी ने मिलकर पर्यावरण संरक्षण और संस्कृति के संरक्षण का संकल्प लिया। सभी ने हर्षोल्लास के साथ हरियाली तीज का पर्व मनाया।