पतंजलि योगपीठ में नेपाल के बौद्धिक वर्ग के लिए‘प्रबुद्धजन योग विज्ञान शिविर’का आयोजन
हरिद्वार। योगऋषि स्वामी रामदेव व आचार्य बालकृष्ण के पावन सान्निध्य में नेपाल राष्ट्र के बौद्धिक वर्ग के प्रबुद्धजनों के लिए पतंजलि योगपीठ हरिद्वार में पांच दिवसीय‘प्रबुद्धजन योग विज्ञान शिविर’का आरंभ हुआ। नेपाल से आए प्रबुद्धजनों ने स्वामी रामदेव के साथ यज्ञ व योग-सत्र का लाभ लिया। तत्पश्चात पतंजलि विश्वविद्यालय के सभागार में दीप प्रज्ज्वलन के साथ कार्यक्रम का बौद्धिक सत्र प्रारंभ करते हुए स्वामी रामदेव ने कहा कि पतंजलि योगपीठ के द्वारा योग,आयुर्वेद,स्वदेशी,शिक्षा,चिकित्सा,चरित्र निर्माण,युग निर्माण व राष्ट्र निर्माण का जो कार्य चल रहा है, उसमें आप सब एकात्म हैं। उन्होंने कहा कि भारत व नेपाल दो राजनैतिक देश होते हुए भी हमारी सांस्कृतिक विरासत,हमारे पूर्वज,सिद्धांत व गंतव्य,हमारी एकरूपता हमें एक-दूसरे के निकट ले आती है। उन्होंने कहा कि नेपाल आज परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है,जिसमें सामाजिक,धार्मिक तथा राजनैतिक परिवर्तन के साथ-साथ शिक्षा,चिकित्सा,स्वाव लम्बन आदि क्षेत्रें में बड़े बदलाव की आवश्कता है। स्वामी रामदेव ने कहा कि कोई भी देश अपने बूते पर ही आगे बढ़ता है,आप देश व देशवासियों के मन में स्वावलम्बन,आत्मनिर्भरता ,शौर्य,वीरता,पराक्रम का जज्बा जगाएँगे तो आने वाले 20-25वर्षों में नेपाल विश्व का सर्वश्रेष्ठ राष्ट्र बन सकता है। इसके लिए मन में कुछ बड़ा करने का संकल्प होना चाहिए। निरंतर पुरुषार्थ तथा पुरुषार्थ व सेवा की पराकाष्ठा को चरम स्तर तक ले जाकर ही बड़े कार्य निष्पादित हाते हैं। उन्होंने कहा कि हमारा स्वप्न है कि नेपाल में भी जल्द ही पतंजलि वैलनेस ,गुरुकुलम,आचार्यकुलम,विश्वविद्यालय व्यवस्थित व आदर्श रूप में स्थापित किए जाएँ। कार्यक्रम में आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि नेपाल और भारत हमारे लिए दो स्वतंत्र सम्प्रभुत्व वाले राष्ट्र हैं। राजनैतिक रूप से दोनों की अपनी-अपनी सीमाएँ,मर्यादाएँ व संविधान हैं परंतु सांस्कृतिक ,सामाजिक और आध्यात्मिक रूप में हम अभिन्न हैं,अटूट हैं। हमारे बीच रोटी-बेटी का सम्बंध सदियों से था,वर्तमान में है और सदियों तक रहेगा। हमारी मूल संस्कृति,संस्कृति की प्रकृति,वैदिक मूल्य व परम्पराएँ समान हैं।आचार्य जी ने कहा कि यदि नेपाल का विकास करना है तो कोई कितना ही पड़ोसी देश हो,मित्र देश हो किन्तु पुरुषार्थ तो नेपाल के नागरिकों को ही करना होगा। भारत व नेपाल का सन्दर्भ में यह अकाट्य है कि भारत व नेपाल का सम्बंध अभिन्न व अटूट है। उन्होंने कहा कि नेपाल की चिंता,नेपाल के विकास की चिंता,नेपाल को समृद्धशाली बनाने की चिंता नेपालवासियों का दायित्व है। राष्ट्रवाद की अवधारणा को अपने मन में धारण करके आपको नेपाल को विकास की राह पर लाना होगा। जैसे भारत की समृद्धि के लिए स्वामी जी के नेतृत्व में लाखों-लाखों भाई-बहन दिन-रात एक करके पुरुषार्थ व तप कर रहे हैं,वैसे ही नेपाल की समृद्धि और विकास के लिए आप सब भाई-बहनों को व्यवस्थित रूप में पतंजलि की ऊर्जा,शक्ति से तप व पुरुषार्थ करना है। आप नेपाल के विकास के लिए क्या बेहतर कर सकते हैं,इस पर मंथन करने की आवश्यकता है। कार्यक्रम में पतंजलि योग समिति के मुख्य केन्द्रीय प्रभारी भाई राकेश‘भारत’ने पतंजलि योगपीठ संस्था का विस्तार से परिचय दिया। उन्होंने पतंजलि से सम्बद्ध विविध इकाईयों के माध्यम से चल रही सेवापरक गतिविधियों तथा भावी योजनाओं से प्रबुद्धजनों को अवगत कराया। पतंजलि हर्बल रिसर्च डिविजन की विभागाध्यक्षा डॉ.वेदप्रिया ने नेपाल विकास हेतु संस्थागत सामर्थ्य पर चर्चा की। नेपाल से आए प्रबुद्धजनों ने योग,प्राकृतिक चिकित्सा के विश्वस्तरीय संस्थान योगग्राम की चिकित्सकीय सेवाओं तथा पतंजलि ग्रामोद्योग में गौशाला,जैविक कृषि आदि गतिविधियों का अवलोकन किया।