शल्य तंत्र’ एवं आधुनिक शल्य चिकित्सा के समन्वय हेतु वैज्ञानिक अनुसंधान की आवश्यकता: प्रो.संजीव शर्मा
हरिद्वार। पतंजलि विश्वविद्यालय के सभागार में तीन दिवसीय‘सुश्रुतकोण’सम्मेलन का उद्घाटन आयुर्वेद विज्ञान एवं आधुनिक चिकित्सा विज्ञान के मूर्धन्य विद्वानों की उपस्थिति में सम्पन्न हुआ। यह सम्मेलन शल्य तंत्र के जनक महर्षि सुश्रुत की जयंती एवं आचार्य बालकृष्ण के जन्म दिवस‘जड़ी-बूटी दिवस’के अवसर पर पतंजलि भारतीय आयुर्विज्ञान एवं अनुसंधान संस्थान तथा पतंजलि विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में पतंजलि रिसर्च फाउण्डेशन,नेशनल सुश्रुत एसोसिएशन,भारत एवं नियोवी लेजर,इजराइल के सहयोग से किया जा रहा है। सम्मेलन के मुख्य अतिथि काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के पद्म भूषण प्रो.मनोरंजन साहू ने आचार्यश्री को जन्मदिवस की शुभकामनाएँ देते हुए कहा कि पतंजलि अनुसंधान संस्थान ने योग व आयुर्वेद के क्षेत्र में देश का नाम विश्वपटल पर स्थापित किया है। उन्होंने बताया कि वर्तमान समय में समेकित चिकित्सा पद्धति के विकास के साथ ही शल्य चिकित्सा के क्षेत्र में गहन अनुसंधान की आवश्यकता है जिसमें पतंजलि का प्रयास निश्चित ही सराहनीय है। डॉ. अनुराग श्रीवास्तव ने शल्य एवं शालाक्य तंत्र की अनुसंधानपरक व्याख्या करते हुए आयुर्वेद की प्राचीन विरासत से सम्मेलन में आए प्रतिभागियों को अवगत कराया। उद्घाटन सत्र में शल्य तंत्र विभाग ,पतंजलि आयुर्वेद महाविद्यालय के प्रोफेसर एवं अध्यक्ष डॉ.सचिन गुप्ता ने सम्मेलन की रूपरेखा प्रस्तुत करते हुए शल्य तंत्र के क्षेत्र में पतंजलि के योगदान की विषद् व्याख्या की। पतंजलि हर्बल रिसर्च डिविजन की प्रमुख-डॉ.वेदप्रिया आर्या ने सम्मेलन में आए विशेषज्ञों का स्वागत करते हुए पतंजलि अनुसंधान संस्थान द्वारा आयुर्वेद के क्षेत्र में किए गए भगीरथ प्रयास पर विस्तार से प्रकाश डाला। इस अवसर पर शल्य चिकित्सा के विद्वान एवं राष्ट्रीय आयुर्वेद मानद विश्वविद्यालय,जयपुर के कुलपति प्रो.संजीव शर्मा ने सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि हम सभी को जनकल्याण के उद्देश्य से प्राचीन शास्त्र‘शल्य तंत्र’एवं आधुनिक शल्य चिकित्सा के समन्वय हेतु वैज्ञानिक अनुसंधान करने की आवश्यकता है। पतंजलि विश्वविद्यालय के उप- कुलपति प्रो.महावीर अग्रवाल ने बताया कि इस सम्मेलन में योग,आयुर्वेद व आधुनिक चिकित्सा विज्ञान की त्रिवेणी का संगम हो रहा है। पतंजलि आयुर्वेद महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो.अनिल कुमार ने अध्यक्षीय उद्बोधन में बोलते हुए कहा कि आचार्य बालकृष्ण का सम्पूर्ण जीवन आयुर्वेद द्वारा मानवता के कल्याण हेतु समर्पित है। उन्होंने पतंजलि आयुर्वेद हॉस्पिटल एवं पतंजलि आयुर्वेद महाविद्यालय की गतिविधियों से भी अवगत कराया। सम्मेलन के तकनीकी सत्र में डॉ.अनुराग श्रीवास्तव ने सामान्य कैंसर की रोकथाम एवं प्रबंधन हेतु आयुर्वेद के सिद्धांतों एवं आधुनिक चिकित्सा के समन्वय विषय पर एवं डॉ.विनोथ फिलिप ने वेरिकोज वेन्स के उपचार में लेजर की नवीन तकनीकों पर प्रकाश डाला। सम्मेलन के तीसरे सत्र में डॉ.एम.सी.मिश्रा,डॉ.मनोरंजन साहू,डॉ.शिव जी गुप्ता,डॉ.पी.हेमन्था,डॉ.सचिन गुप्ता,डॉ.संजीव शर्मा,डॉ.अजय गुप्ता द्वारा अपने संबोधन एवं समूह परिचर्चा के माध्यम से उपस्थित प्रतिभागियों का मार्गदर्शन किया गया।अतिथि विद्वानों एवं प्रतिभागियों के सम्मान में सांस्कृतिक संध्या का भी आयोजन किया गया जिसमें पतंजलि विश्वविद्यालय एवं पतंजलि आयुर्वेद महाविद्यालय के विद्यार्थियों द्वारा भजन,नृत्य,योग आदि की भव्य प्रस्तुति दी गई। ज्ञात हो कि सम्मेलन में 12राज्यों के लगभग 1100प्रतिभागी हिस्सा ले रहे हैं।कार्यक्रम में प्रतिकुलपति डॉ.मयंक अग्रवाल ,मुख्य परामर्शदाता प्रो.के.एन.एस.यादव,कुलसचिव डॉ.प्रवीन पूनिया सहित समस्त अधिकारी गण ,शिक्षक गण,शोधार्थी व छात्र- छात्राएं उपस्थित रहे।