शिव ही सृष्टि के सर्वशक्तिमान देव,जो सृजन और संहार दोनों का संचालन करते हैं

 हरिद्वार। श्रीगीता विज्ञान आश्रम के परमाध्यक्ष महामंडलेश्वर स्वामी विज्ञानानंद सरस्वती जी महाराज ने कहा है कि शिव ही सृष्टि के सर्वशक्तिमान देव हैं जो सृजन और संहार दोनों का संचालन करते हैं। श्री हरि सहित समस्त देवताओं के शयन के बाद चार माह तक सृष्टि का संचालन भगवान शिव ही करते हैं,जो श्रावण मास में हरिद्वार में रहकर संपूर्ण सृष्टि को समरसता का संदेश देते हैं। वे आज गीता विज्ञान आश्रम स्थित श्रीविज्ञानेश्वर महादेव मंदिर में आयोजित महारुद्राभिषेक में पधारे भक्तों को शिवोपासना का महत्व समझा रहे थे।          शिवोपासना के मूल मंत्र‘ओम् नमःशिवाय‘के उच्चारण का महत्व समझाते हुए उन्होंने कहा कि इस मंत्र में इतनी शक्ति है कि उच्चारण मात्र से ही मानव तन,मन और अंतःकरण के समस्त विकारों का शमन हो जाता है और साधक स्वस्थ एवं संपन्न बन जाता है। शिवलिंग को भगवान शिव का निराकार स्वरूप बताते हुए उन्होंने कहा कि गंगाजल के साथ बेलपत्र का समर्पण करने से न केवल भगवान प्रसन्न होते हैं,बल्कि बेलपत्र के साथ गंगाजल का स्पर्श मात्र से ही मानव तन को आरोग्यता प्राप्त होती है,इसे विज्ञान ने भी माना है,यह हमारे ऋषि मुनियों के तपोवल से अर्जित अद्भुत शोध है। प्रातः कालीन तथा सांयकालीन दो सत्रों में चले महारुद्राभिषेक में संपूर्ण भारत के कई प्रदेशों से आए शिव भक्तों के साथ ही बड़ी मात्रा में स्थानीय भक्तों ने भी रुद्राभिषेक में सम्मिलित होकर लोककल्याण की कामना की। श्रावण मास में गंगा तट और गुरुगद्दी पर किए गए अनुष्ठान को लोक कल्याणकारी बताते हुए उन्होंने कहा कि श्रावण मास की शिवोपासना इसलिए भी महत्वपूर्ण होती है कि भगवान शिव स्वयं दक्षेश्वर बनकर हरिद्वार में एक माह तक रहकर भक्तों का कल्याण करते हैं,इसीलिए करोड़ों शिवभक्त श्रावण मास में कावड़ यात्रा के माध्यम से भगवान शिव का सानिध्य प्राप्त करते हैं। महारुद्राभिषेक की पूर्णाहुति के बाद सभी भक्तों ने फलाहार प्रसाद कर अपना अंतःकरना पवित्र किया।