प्रकृति विश्व की जनसंख्यिकी में आमूल चूल परिवर्तन करने वाली है-स्वामी विज्ञानानंद सरस्वती

 हरिद्वार। श्रीगीता विज्ञान आश्रम के परम अध्यक्ष महामंडलेश्वर स्वामी विज्ञानानंद सरस्वतीजी महाराज ने कहा है कि कलयुग का अंतिम चरण अब आ गया है और एक वर्ष के अंदर ही प्रकृति में नया परिवर्तन होगा। पूरे विश्व के वातावरण और भारत की दशा तथा दिशा के अनुकूल किए गए सर्वेक्षण के बाद उन्होंने बताया कि सामान्य परिस्थितियां अब असामान्य में परिवर्तित हो रही हैं। वे आज विष्णु गार्डन स्थित श्री गीता विज्ञान आश्रम में बढ़ती ग्लोबल वार्मिंग और असामान्य हो रहे राजनैतिक एवं सामाजिक वातावरण को आध्यात्मिक चिंतन से जोड़ते हुए भक्तों को भविष्य के प्रति सचेत कर रहे थे। समाज में बढ़ रहे कलयुग के दुष्प्रभाव पर चिंता व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि समाज का ताना-बाना बिगड़ रहा है। बाप-बेटी और भाई-बहन के रिश्ते कलंकित हो रहे हैं। संयुक्त परिवार की परंपरा ही समाप्त हो गई है, परिवार नियोजन ने कई रिश्ते समाप्त कर दिए हैं। प्रकृति विश्व की जनसंख्यिकी में आमूल चूल परिवर्तन करने वाली है। विभिन्न वैश्विक संस्थाओं का स्वरूप अधिक समन्वयकारी होगा तथा भारत विश्वगुरु की भूमिका में आएगा। सरकारी मशीनरी नाकारा और भ्रष्ट होती जा रही है तथा वर्षपर्यंत चलने वाली चुनावी प्रक्रिया से अब जनता का मन खट्टा हो गया है। उन्होंने सुझाव दिया की मन,वचन और कर्म में समानता होनी चाहिए क्योंकि धर्म संपदा बालों की संख्या कम हो रही है और धन संपदा वालों का वर्चस्व बढ़ रहा है,जो सत्य और धर्म के मार्ग पर चलेंगे वही सतयुग में प्रवेश करेंगे। आगामी दशक की ग्रह दशा को आम जनमानस के लिए अशुभ बताते हुए उन्होंने कहा कि विश्व की जनसंख्या का एक बड़ा भाग समाप्त हो जाएगा और जो आवादी बचेगी उसमें भारतीयों की संख्या सर्वाधिक होगी। बहुमत एवं अल्पमत पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं कि जिनकी संख्या अधिक हो वह विजयी हो जाएगा या राजा बन जाएगा, कौरव सौ थे पांडव पांच धे,महाभारत के युद्ध में पांडवों की विजय हुई। भारतवर्ष ऋषि मुनियों,साधकों और विद्वानों की भूमि है, यहां कबीर,रहीम,शबरी और केवट ने भी महानता प्राप्त की है। उन्होंने सभी श्रोताओं का आवाहन किया कि यदि सतयुग में जाना है तो आज से ही झूठ,फरेब,अनाचार,दुराचार,अहंकार और भ्रष्टाचार को त्याग दें,जीवन सौम्य बन जाएगा। इस अवसर पर अनेकों गीता मनीषी एवं वेदांताचार्यो ने भी अपने विचार व्यक्त किये। कार्यक्रम का शुभारंभ आचार्य हरिओम ने वेदपाठी विद्वानों के साथ गुरु वंदना से किया,जिसमें यूपी,पंजाब ,हरियाणा,राजस्थान,दिल्ली एवं गुजरात के साथ ही बड़ी संख्या में स्थानीय नागरिक भी उपस्थित थे।