हरिद्वार। शत पुस्तक समुद्र से हिमशिखर तक का कन्नड़ व अंग्रेजी भाषा में विमोचन किया गया। चार वर्ष पूर्व हिन्दी भाषा में पुस्तक का विमोचन स्वामी रामदेव व आचार्य बालकृष्ण ने किया था। पुस्तक के लेखक शैलेंद्र सक्सेना हैं। पुस्तक का कन्नड़ अनुवाद डा.भास्करमैया और अंग्रेजी अनुवाद स्वर्णगौरी व अनिता विमला ब्रैग्स द्वारा किया गया है। तपोवनी सन्त सुभद्रा माता चैरिटेबल ट्रस्ट के सदस्यों की उपस्थिति में स्वामी रामदेव ने पुस्तक का विमोचन किया। स्वामी रामदेव ने विमोचन करते हुए बताया कि तीन दशक पूर्व तपोवन हिमालय पहुंचने पर पहली बार उन्हें संत सुभद्रा माता के दर्शन कर उनसे आशीर्वाद लेने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। तपोवनी मां हिमालय की एक ऐसी विलक्षण संत हुई हैं,जिनका जन्म तो दक्षिण भारत में हुआ परन्तु साधना दुर्गम बर्फीले हिमालय क्षेत्र तपोवन में हुई। उडुपी,कर्नाटक पेजावर मठ के विश्वप्रसिद्ध संत विश्वेश्वर तीर्थ स्वामी से संन्यास दीक्षा लेने के बाद उन्होंने अपना जीवन मानव मात्र की सेवा में लगा दिया। माता सुभद्रा के ब्रह्मलीन होने के बाद ट्रस्ट द्वारा की जाने वाली समाज सेवाओं की गति और तेज हो गई है। साधना और सेवा के जो बीज उनके द्वारा डाले गये थे। आज वो हरे भरे वृक्ष बनकर समाज में लहलहा रहे हैं। पुस्तक विमोचन के अवसर पर धर्मेंद्र दहिया,नरेन्द्र शेट्टी,बहादुर सिंह वर्मा,मुकेश कुमार,संदीप, मीनाक्षी, जया और नीलू अरोड़ा आदि उपस्थित रहे। स्वामी रामदेव ने लेखक शैलेन्द्र सक्सेना व फ्रांस से आये पुस्तक प्रकाशन में सहयोगी मिलोवन स्टैंकलोव को सम्मानित भी किया।