सनातन संस्कृति की रक्षा को समर्पित था नेमीचन्द्र तोषनीवाल का जीवन-स्वामी आनंद चैतन्य

 स्व.नेमीचंद्र तोषनीवाल को संतों व गणमान्य लोगें ने दी श्रद्धांजलि


हरिद्वार। तीर्थनगरी की विख्यात धार्मिक संस्था श्री मानव कल्याण आश्रम में श्री ललिताम्बा देवी ट्रस्ट के संस्थापक सदस्य समाजसेवी स्व.नेमीचन्द्र तोषनीवाल को तीर्थ नगरी हरिद्वार के संतो,महंता,ेमहामंडलेश्वर व गणमान्यजनों ने श्रद्धाजंलि सभा में म.म.आनंद चैतन्य सरस्वती महाराज की अध्यक्षता एवं जूना अखाड़ा के पूर्व राष्ट्रीय सचिव श्रीमहंत देवानंद सरस्वती महाराज के संचालन में भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। म.मं.स्वामी आनंद चैतन्य सरस्वती ने कहा कि स्व.नेमीचन्द्र तोषनीवाल का समूचा जीवन सनातन संस्कृति की रक्षा व मानव कल्याण को समर्पित रहा। उन्होंने अपने नाम को सार्थक करते हुए अपने पुरुषार्थ से स्थापित अपने संसाधनों को राष्ट्र कल्याण व मानवता की सेवा को समर्पित किया। अपने कृतित्व व व्यक्तित्व से वह सदैव हमारी स्मृतियों में जीवंत रहेंगे। महानिर्वाणी अखाड़ा के महामंडलेश्वर रामेश्वरानंद सरस्वती ने कहा कि समाजसेवी नेमीचंद्र तोषनीवाल का समूचा जीवन व्यवसाय के साथ-साथ समाज और मानव कल्याण के लिए समर्पित रहा। उन्होंने जीवनपर्यंत शिक्षा,चिकित्सा, धर्मशाला ,आश्रमों की समर्पित भाव से सेवा की। उन्होंने कहा कि तोषनीवाल जैसे लोग समाज को सेवा भाव का पाठ पढ़ाकर मानव जीवन को धन्य कर देते हैं। श्री ललिताम्बा देवी ट्रस्ट के मैनेजिंग ट्रस्टी भाजपा नेता अनिरुद्ध भाटी ने स्व.नेमीचंद्र तोषनीवाल को भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि स्व.नेमीचंद्र तोषनीवाल कोलकत्ता के जाने-माने जूट व्यवसाई होने के साथ-साथ प्रमुख समाज सेवी थे। हरिद्वार,बद्रीनाथ,अहमदाबाद में श्री मानव कल्याण आश्रम के निर्माण में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही। उन्होंने पश्चिम बंगाल ही नहीं अपितु उत्तराखण्ड, राजस्थान, झारखण्ड, बिहार,गुजरात में अनेकों सेवा प्रकल्पों की स्थापना कर मानवसेवा के कीर्तिमान स्थापित किये। उनके दिवंगत होने से समाज की अपूर्णीय क्षति हुई हैं। ऐसे लोगों के जीवन से हमे सेवा समर्पण की शिक्षा लेनी चाहिए। श्रीमहंत देवानन्द सरस्वती ने कहा कि स्व.नेमीचंद्र तोषनीवाल जूट बेलर्स एसोसिएशन के सभापति रहे। उनके सेवा कार्यों को सम्मान देते हुये राजस्थान सरकार ने उन्हें 25बार भामाशाह सम्मान से सम्मानित किया। श्री मानव कल्याण आश्रम एवं ललिताम्बा देवी ट्रस्ट के आजीवन सदस्य रहते हुए उन्होंने अनेक स्कूल,धर्मशालाओं का निर्माण करवाया। समाजसेवी स्व.नेमीचंद्र तोषनीवाल का जीवन अध्यात्म,शिक्षा, चिकित्सा, संत,महंतो, धार्मिक कार्यों से जुड़ा था। उन्होंने जीवन भर अपने व्यवसाय के साथ साथ समाज कल्याण के लिए समर्पित भाव से समाज सेवा की। ऐसे महापुरुष हमारी आने वाली पीढ़ी के लिए प्रेरणा के स्रोत बनते हैं उनका जीवन किसी संत से कम नहीं था। महामंडलेश्वर गिरधर गिरि महाराज ने भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि स्व.नेमीचंद्र तोषनीवाल ने अपने जीवन का लक्ष्य केवल दूसरों की सेवा व दूरस्थ क्षेत्र के समूचे भारत मे पांच सौ से अधिक विद्यालयों में बच्चों के लिए कक्ष निर्माण, लगभग चालीस विद्यालय भवन निर्माण कराने के साथ-साथ हजारों कंप्यूटर बच्चों को आधुनिक शिक्षा देने के लिए उपलब्ध कराए। महंत दुर्गेशानंद सरस्वती ने कहा कि स्व.नेमिचन्द तोषनीवाल विनम्रता की साक्षात प्रतिमूर्ति थे। उन्होंने अपने धन व प्रतिष्ठा का अभिमान न करते हुये सदैव अपने धन व सार्म्थ्य का समाजहित में प्रयोग किया। उन्होंने स्कूलों में कक्ष निर्माण,शौचालय निर्माण,पेयजल व्यवस्था, कमजोर छात्रांें की शिक्षा व्यवस्था में बढ़चढ़ कर सहयोग किया। महामंडलेश्वर गिरधर गिरि,महंत केशवानंद,महंत दुर्गेशानंद सरस्वती,महंत हंसानंद सरस्वती महाराज,स्वामी अनंतानन्द ,सुरेन्द्र मिश्रा,ब्रह्मजीत सहित सैकड़ों विधार्थियो व विप्रवरों ने भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की।