श्रीमद् वाल्मीकिय श्रीराम कथा में वन गमन का प्रसंग सुनकर विभोर हुए श्रोतागण
हरिद्वार। कथा व्यास डॉ रामविलास दास वेदांती महाराज ने कहा कि भगवान राम की इच्छा के बनिा कुछ भी नहीं होता । भगवान राम स्वयं ही अपनी लीला को पूरा करने के लएि वन जाना चाहते थे क्योंक िवन में उन्हें हनुमान से मलिना था। सबरी का उद्धार करना था। धरती पर धर्म और मर्यादा की सीख देनी थी। इसलएि जन्म से पहले ही राम यह तय कर चुके थे कि उन्हें वन जाना है और पृथ्वी से पाप का भार कम करना है। वशिष्ठ भवन धर्मार्थ सेवा ट्रस्ट के तत्वावधान में चल रही श्रीमद् वाल्मीकिय श्रीराम कथा के छठे दिवस पर कथा व्यास डॉ रामविलास दास वेदांती ने वन प्रसंग का बखान करते हुए कहा कि रामायण-का शाब्दिक अनुवाद‘राम का अयन‘या ‘राम की यात्रा‘ है। महाकाव्य में, यह यात्रा भगवान राम की सौतेली माँ कैकेयी द्वारा शुरू की गई है जो चाहती है कि उसका बेटा राजकुमार भरत युवराज बने। वह रणनीतिक रूप से कुछ वरदानों का आह्वान करती है और भगवान राम के लिए जंगल में 14साल के वनवास की योजना बनाती है। अपने पिता के धर्म को कायम रखने के लिए भगवान राम स्वेच्छा से स्वीकार करते हैं और उस रास्ते पर निकल पड़ते हैं जिस पर उनका मानना है कि नियति ने उनके लिए यही लिखा है। कथा में फरीदाबाद के राघवेश दास वेदांती महाराज,फरीदाबाद के मशहूर उद्योगपति गौतम चौधरी,रतन पांडेय,फार्मा एसोसि- एशन से धीरेन्द्र तिवारी,पंकज मिश्रा,सुनील शुक्ला,मुरारी पाण्डेय,कथा संयोजक सुनील सिंह,सीए आशुतोष पांडेय,रंजीता झा,पुरूषोत्तम अग्रवाल,बृजभूषण तिवारी,काली प्रसाद साह,फूलबदन देसी, बीएन राय,प्रियंका राय,प्रशांत राय,राकेश मिश्रा,कृष्णानंद राय,गुलाब यादव,प्रमोद यादव,पंकज ओझा,अमित गोयल,अमित साही,वरूण शुक्ला,वरूण कुमार सिंह,अजय तिवारी,हरि नारायण त्रिपाठी,यतीश राठौड़,सुधा राठौड़,संतोष झा,धनंजय सिंह,चंदन सिंह,ज्ञानेंद्र सिंह,कमलेश सिंह, अपराजिता सिंह,नीलम राय,रश्मि झा,सुनीता सिंह सहित सदस्यगण मौजूद रहे।