पतंजलि पहुंची जैन मुनि डा.मणिभ्रद महाराज की सर्वोदय शांति यात्रा

 


हरिद्वार। जैन मुनि डा.मणिभद्र महाराज की ‘सर्वाेदय शांति पद यात्रा’ के पंतजलि पहुंचने पर पंतजलि योगपीठ के महामंत्री आचार्य बालकृष्ण ने स्वागत किया। मेरठ से शुरू हुई डा.मणिभद्र की पदयात्रा बद्रीनाथ तथा केदारनाथ धाम से वापस पतंजलि पहुंची है। जैन मुनि डा.मणिभ्रद का स्वागत करते हुए पतंजलि योगपीठ के महामंत्री आचार्य बालकृष्ण महाराज ने कहा कि डा.मणिभद्र जैन धर्म के महान संत हैं। उन्होंने बताया कि जैन श्रमण, साधु, साध्वी एक स्थान पर न रहकर विहार भ्रमण करते रहते हैं। यह यात्रा भी उसी का विग्रह रूप है। हिमालय जैसा व्यक्तित्व हिमालय की दुर्गम यात्रा सीमित साधनों के साथ पूर्ण कर लौटा है। आचार्य बालकृष्ण ने जैन मुनि को भिक्षा भी प्रदान की।इस अवसर पर जैन मुनि डा.मणिभद्र ने कहा कि पतंजलि योगपीठ के महामंत्री आचार्य बालकृष्ण महाराज से उनका भ्रातवत आत्मीय सम्बंध है। पतंजलि की विविध गतिविधियों, समाजसेवा व सृजन के कार्यों का अवलोकन कर जैन मुनि ने कहा कि पतंजलि अपनी उत्कृष्ट सेवाओं व कार्यों से सेवा के नए आयाम स्थापित कर रहा है। योग, आयुर्वेद चिकित्सा,शिक्षा,कृषि,अनुसंधान,गौ संरक्षण,उद्योग,सूचना एवं तकनीकी आदि विविध क्षेत्रों में पतंजलि उत्कृष्ट सेवाएं प्रदान कर राष्ट्र सृजन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।अपनी यात्रा का अनुभव साझा करते हुए डा.मणिभद्र ने बताया कि प्राकृतिक छटाओं और सुंदरता से लबरेज उत्तराखण्ड भारत का सबसे सुंदर प्रदेश है। यहां आकर मन प्रफुल्लित हो उठता है। उत्तराखण्ड की पर्वत श्रृंखलाओं पर स्थापित ये बद्रीनाथ व केदारनाथ धाम प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण हैं। यहाँ का पर्वतीय जीवन साधारण तथा लोगों में सरलता व सादगी है। देवभूमि के कण कण में देवों का वास है। जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर आदिनाथ भगवान का निर्वाण स्थल कैलाश क्षेत्र रहा है। यात्रा में उप-प्रवर्तक अभिषेक मुनि तथा आशीष मुनि भी सहयात्री रहे।