पर्यावरण संरक्षण के लिए साईकिल का करें अत्यधिक प्रयोग-विजयपाल बघेल


 हरिद्वार। निरंतर बढ़ते वायुप्रदूषण से जलवायु परिवर्तन की गंभीर वैश्विक समस्या ने पूरे जीवमंडल का जीवन संकट में डाल दिया है। वाहनों से निकलने वाली कार्बन गैसें वायुमंडल को जहरीला बना रहीं है और तापमान में अत्यधिक वृद्धि होने का कारण बन रहीं हैं। पर्यावरण और सेहत की रक्षा के लिए अधिकाधिक पौधारोपण और ईको फ्रेंडली वाहन साइकिल का प्रयोग बढ़ाने की नितांत आवश्यकता है। साईकिल चलाने से इम्यूनिटी पॉवर बढ़ने के साथ स्वास्थ की रक्षा होती है और साथ ही कॉर्बन फुटप्रिंट शून्य होने के कारण पर्यावरण भी शुद्ध होता है। इसलिए सभी को साइकिल के प्रयोग को बढ़ावा देना चाहिए। यह विचार विश्व साइकिल दिवस पर ट्री ट्रस्ट ऑफ इंडिया के अध्यक्ष ग्रीनमैन विजयपाल बघेल ने साईकिल से हरिद्वार की परिक्रमा करके व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि भयंकर गर्मी ने जीना मुश्किल कर दिया है। हरिद्वार में चारों तरफ जाम लगे हैं। वाहनों के साइलेंसर आग के साथ जहर उगल रहे हैं साथ ही एसी ज्वालामुखी का कार्य करके असहनीय तपस बढ़ा रहे हैं। ईको फ्रेंडली वाहन साईकिल के प्रति जब तक लगाव नहीं बढ़ेगा तब तक यह समस्या नियंत्रित नहीं होगी। विजयपाल बघेल ने बताया कि वे स्थानीय आवागमन साईकिल से ही करते हैं। नियमित साइकिल चलाने के साथ उपहार में मिली ई-साइकिल के माध्यम से वे देश में पर्यावरण संरक्षण के संदेश को समर्पित साइकिल यात्रा भी कर चुके हैं। उन्होंने बताया कि विकसित देशों में साइकिल का चलन दिन प्रतिदिन बढ़ रहा है। जहां तक कि कई राष्ट्राध्यक्ष तो अपने कार्यालय साइकिल से जाते हैं। हमें भी अपने स्वास्थ्य और पर्यावरण की रक्षा के प्रति सजग होना होगा। वायु प्रदूषण के रूप में तांडव मचाने वाले वाहनों का बहिष्कार कर ईको फ्रेंडली वाहन साइकिल पर हमे आना ही होगा। साईकिल 21वीं सदी का सबसे सस्ता और पर्यावरण हितैषी वाहन है। उन्होंने बताया कि वर्ष 2018 में साइकिल के महत्व को विश्व पटल पर लाने के लिए यूनाइटेड नेशंस एसेंबली द्वारा 3 जून को विश्व साइकिल दिवस के रूप में मनाए जाने की घोषणा की है। कहा कि कैसी विडंबना है कि भारत में कसरत करने के लिए लोग लक्जरी गाड़ियों से जिम जाते हैं और वहां साइकिल चलाते हैं। जिम में कुछ देर साईकिल चलाने के बजाए आने जाने में में साइकिल का ही प्रयोग किया जाए। इससे स्वास्थ्य और पर्यावरण दोनों ठीक रहेंगे।