योग कोई धर्म नहीं है,यह जीने की एक कला

 हरिद्वार। राष्ट्रीय मानव अधिकार संरक्षण समिति ट्रस्ट की राष्ट्रीय सचिव रेखा नेगी ने कहा कि पूरे विश्व में योग के महत्व को समझते हुए 21जून को विश्व योग दिवस मनाने की घोषणा संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा किया गया। योग कोई धर्म नहीं है,यह जीने की एक कला है। योग के अभ्यास से व्यक्ति को मन,शरीर और आत्मा को नियंत्रित करने में मदद मिलती है। यह भौतिक और मानसिक संतुलन द्वारा शांत मन और संतुलित शरीर की प्राप्ति कराता है। तनाव और चिंता का प्रबंधन करता है। यह शरीर में लचीलापन,मांसपेशियों को मजबूत करने और शारीरिक स्वास्थ्य को बढ़ाने में मदद करता है। इसके द्वारा श्वसन,ऊर्जा और जीवन शक्ति में सुधार होता है। इससे प्रतिरक्षा तंत्र में सुधार और स्वस्थ्य जीवन शैली बनाए रखने में मदद मिलती है। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि योग हमें निरोग बनाता है बशर्ते हम इसे अपनी दिनचर्या में शामिल कर लें। वास्तव में योग वह क्रिया है,जो शरीर के अंगों की गतिविधियों और सांसों को नियंत्रित करता है। यह शरीर और मन,दोनों को प्रकृति से जोड़कर आन्तरिक और बाहरी ताकत को बढ़ावा देने का कार्य करता है। विभिन्न प्रकार के योग विभिन्न उद्देश्यों के लिए किए जाते हैं,इसलिए केवल आवश्यक और सुझाये गए योगों का ही अभ्यास करना चाहिए। यह केवल एक शारीरिक क्रिया ही नहीं है,क्योंकि यह एक मनुष्य को मानसिक,भावनात्मक और आत्मिक विचारों पर नियंत्रण करने के योग्य भी बनाता है। योग के अनगिनत लाभ हैं,हम यह कह सकते हैं कि योग मानवता को मिला हुआ एक ईश्वरीय वरदान है।