ज्ञान और हरि से मिलने का माध्यम है श्रीमद्भावगत कथा-स्वामी हरिचेतनानंद


 हरिद्वार। आनन्दमयी पुरम दक्ष रोड़ कनखल स्थित श्री महर्षि ब्रह्महरि उदासीन आश्रम में आयोजित सात दिवसीय श्रीमद् भागवत सप्ताह ज्ञान यज्ञ के पांचवें दिन श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं की कथा का श्रवण कराते हुए कथाव्यास स्वामी रविदेव शास्त्री ने कहा कि श्रीकृष्ण का वध करने के प्रयासों में जुटे कंस ने उन्हें मारने के लिए अपनी सबसे बलशाली राक्षसी पुतना को भेजा। पुतना ने अपना जहरीला दूध पिलाकर श्रीकृष्ण को मारने का प्रयास किया। लेकिन कृष्ण ने दुग्धपान करते हुए पुतना के प्राण ही हर लिए। उन्होंने भगवान श्रीकृष्ण की गौचारण लीला,कालिया नाग मर्दन,माखन चोरी लीला व गोवर्धन पूजा का श्रवण भी श्रद्धालुओं को कराया। गोवर्धन पूजा का प्रसंग सुनाते कथाव्यास ने कहा कि ब्रजवासी इंद्र का पूजन करने की तैयारी में जुटे थे। लेकिन श्रीकृष्ण ने उनसे इंद्र के बजाए गोवर्धन पर्वत की पूजा करने को कहा। श्रीकृष्ण के कहने पर ब्रजवासियों ने गोवर्धन पर्वत की पूजा की तो इंद्र ने घनघोर वर्षा कर दी। वर्षा से ब्रजवासियों को बचाने के लिए श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी उंगली पर उठा लिया और सभी ब्रजवासियों को उसके नीचे बुला लिया और सभी की रक्षा की। श्रद्धालु भक्तों को आशीवर्चन प्रदान करते हुए महामंडलेश्वर स्वामी हरिचेतनानंद ने कहा कि श्रीमद्भागवत कथा विचार, वैराग्य,ज्ञान और हरि से मिलने का माध्यम है। अन्य युगों में कल्याण के लिए मनुष्य को कठिन तपस्या और यज्ञ आदि करने पड़ते थे। वहीं कलियुग में हरिनाम से ही जीव का कल्याण हो जाता है। आश्रम के परमाध्यक्ष श्रीमहंत दामोदर शरणएवं कथा संयोजन महंत अमृतमुनि ने श्रद्धालुओं को आशीर्वाद प्रदान किया। इस अवसर पर महंत राघवेंद्र दास,महंत अमृतमुनि,महंत प्रेमदास,महंत जयेंद्र मुनि,स्वामी हरिहरां नद,महंत गोविंददास ,महंत गंगादास,स्वामी दिनेश दास,महंत जसविंदर सिंह,महंत निर्भय सिंह ,महंत कैलाशानंद,महंत सुतिक्ष्ण मुनि,पदम प्रकाश सुवेदी सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु भक्त मौजूद रहे।