भागवत के पांच प्राण हैं महारास में गाए जाने वाले गीत पांच गीत-पंडित चन्द्रसागर

 हरिद्वार। रेलवे रोड़ स्थित श्री सुदर्शन आश्रम अखाड़ा के श्रीमहंत रघुवीर दास महाराज के संयोजन में साकेतवासी श्रीमहंत स्वामी सरस्वत्याचार्य महाराज की 33वीं पुण्यतिथि के उपलक्ष्य में आयोजित गुरूजन स्मृति महोत्सव के अवसर पर आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के छठे दिन महारास लीला की कथा का श्रवण कराते हुए कथाव्यास हरिनामदास पंडित चन्द्रसागर महाराज ने कहा कि महारास में पांच अध्याय हैं। महारास में गाए जाने वाले पांच गीत भागवत के पांच प्राण हैं। जो भी इन गीतों को भक्ति भाव से गाता है। उसका जीवन भवसागर से पार हो जाता है। उसे वृन्दावन की भक्ति भी सहज भाव से प्राप्त हो जाती है। कथाव्यास ने कहा कि महारास में भगवान श्रीकृष्ण ने बांसुरी बजाकर गोपियों का आह्वान किया। महारास द्वारा ही जीवात्मा का परमात्मा से मिलन हुआ। जीव और ब्रह्म के मिलन को ही महारास कहते हैं। श्रीमहंत रघुवीर दास महाराज ने श्रद्धालु भक्तों को श्रीमद्भागवत कथा के महत्व से अवगत कराते हुए कहा कि भगवत प्राप्ति के लिए आस्था और विश्वास जरूरी है। आस्था और विश्वास के साथ कथा का श्रवण करने और कथा से मिले ज्ञान को आचरण में धारण करने से जीवन बदल जाता है। अंतःकरण में सात्विक विचारों का उदय होता है। जिससे मोक्ष और कल्याण का मार्ग प्रशस्त होता है। इस अवसर पर महंत सूरजदास,महंत जयराम दास,महंत बिहारी शरण,स्वामी अंकित शरण,महंत सुरेश दास,पुजारी गिरीष दास,विजय शर्मा,निर्मला शर्मा, अभिषेक शर्मा,तनु शर्मा,कुलदीप डोगरा,बबली डोगरा,रमेश रानी माता,सच्चिदानंद,मुनेश तिवारी, सत्यानंद सेमवाल सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु जन शामिल रहे।