मौजूद चुनौतियों को केंद्र में रख कर करें शोध,

 आईआईएम काशीपुर में आयोजित तीन दिवसीय कोलोकियम में विशेषज्ञों की सलाह

देहरादून। देश के प्रमुख संस्थानों के 295 प्रतिभागियों के साथ, उत्तर भारत का सबसे बड़ा तीन दिवसीय स्कॉलर्स कॉन्क्लेव मैनेजमेंट एजुकेशन एंड रिसर्च कोलोकियम (एमईआरसी), शुक्रवार को भारतीय प्रबंधन संस्थान,काशीपुर में शुरू हुआ। आईआईएम काशीपुर द्वारा प्रबंधन शिक्षा और अनुसंधान के क्षेत्र में नॉलेज,इनोवेशन और नेटवर्किंग को केंद्र में रखते हुए आयोजन किया हैं। इसमें देश भर से प्रतिभाशाली विद्यार्थी अपने शोध कार्य को साझा करने, विचारों का आदान-प्रदान करने,नवीनतम शोध रुझानों को समझने और सार्थक सहयोग को बढ़ावा देने के लिए एकत्रित होते हैं। इस कॉन्क्लेव में एक दर्जन आईआईटी और एनआईटी, 10आईआईएम,कोचीन यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टैक्नोलॉजी,अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय, बनारस हिंदू विश्वविद्यालय,दिल्ली विश्वविद्यालय,केंद्रीय विश्वविद्यालय और देश के अन्य प्रमुख संस्थानों के शोधकर्ता अपना शोध पत्र प्रस्तुत करेंगे। इस दौरान शोध छात्रों को विशेषज्ञों से व्यावहारिक सुझाव हासिल करने का अवसर भी मिलेगा। इस कार्यक्रम में सरकारी संस्थानों के अलावा, निजी संस्थानों के स्कॉलर भी बड़ी संख्या में इस सम्मेलन में शामिल हुए हैं। इस कॉन्क्लेव के लिए आईआईएम काशीपुर को 720शोध पत्र प्राप्त हुए थे,जिनमें लगभग 50प्रतिशत शोध पत्र महिलाओ के हैं।ई-कॉमर्स में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल,भारत की कोविड-19वैक्सीन कूटनीति,ऑनलाइन शॉपिंग की गहरी पड़ताल,लॉटरी के अनपेक्षित परिणाम ,गिग श्रमिकों का जीवन और अन्य प्रासंगिक विषयों पर 300 आवेदनों को शॉर्टलिस्ट किया गया। तीन सर्वश्रेष्ठ शोध पत्रों को क्रमशः 25,000 रुपये,20,000रुपये और 15,000रुपये की राशि से सम्मानित किया जाएगा। कॉन्क्लेव के मुख्य अतिथि पीडब्ल्यूसी के मैनेजिंग डायरेक्टर डॉ.जय आडवाणी,जिनके पास दो दशकों से अधिक का अनुभव है, ने बताया कि,‘अब तक रिसर्च और उद्योग को दो अलग-अलग पहलू माना जाता था, लेकिन विकसित होती तकनीक के साथ, अब उद्योग को चुनौतियों का समाधान करने या उद्योग की खामियों को ठीक करने के लिए शोधकर्ताओं के सपोर्ट की आवश्यकता है। कोविड-19महामारी के बाद,उद्योग डिजिटल एडवांसमेंट के रास्ते पर है,और शोधकर्ता इस दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।’’शोध और अनुसंधान से जुड़ी भविष्य की संभावनाओं की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा,‘‘ इंडस्ट्री में ऑटोमोबाइल,साइबर सुरक्षा,आईटी और अन्य अनेक कंपनियां अपने लिए विशेष प्रॉडक्ट विकसित करने या अपने संचालन को तेजी से आगे बढ़ाने के लिए अनुसंधान और विकास पर एक दशक का समय और पैसा खर्च कर रहे है। अकेले बैंगलुरू में ही अनेक बहुराष्ट्रीय कंपनियों की 500से अधिक आरएंडडी इकाइयाँ हैं। आज इंडस्ट्री की मौजूद चुनौतियों को केंद्र में रख कर रिसर्च करने की जरूरत है। कोलोकियम में विभिन्न विषयों पर आवेदन प्राप्त हुए है,इनमें ओबीएचआर,आईटी,इकोनॉमिक्स,फाइनेंस,मार्केटिंग,ऑपरेशंस और स्ट्रेटेजिक मैनेजमेंट और कम्युनिकेशन शामिल है। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इस बार आवेदनों में पिछली बार के मुकाबले 400फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। डॉक्टोरल प्रोग्राम के चेयरपर्सन और एमईआरसी के संयोजक डॉ.सब्यसाची पात्रा ने कहा,‘‘हम भारत भर के प्रमुख संस्थानों से 300 से अधिक प्रतिभागियों की मेजबानी करके रोमांचित अनुभव कर रहे हैं। जहां तक शोध पत्रों का सवाल है,हमें 10विभिन्न थीम पर आधारित 720 से अधिक शोध पत्र हासिल हुए हैं,जिनमें कम्युनिकेशन,इकोनॉमिक्स,आईटी और सिस्टम, मार्केटिंग,ऑर्गनाइजेशनल बिहेवियर,ह्यूमन रिसोर्सेज मैनेजमेंट,ऑपरेशंस और डिसीजन साइंसेज, पब्लिक पॉलिसी और गवर्नेंस ,स्ट्रेटेजी और एंटरप्रेन्योरशिप,सस्टेनेबिलिटी इन एमएसएमई और फाइनेंस और अकाउंटिंग जैसे विषय शामिल किए गए हैं। कोलोकियम के संयोजक प्रो.सोमनाथ चक्रवर्ती,डीन(अकादमिक) ने कहा,‘‘इस सम्मेलन में भाग लेने वाले डॉक्टरेट विद्वानों के लिए यह कोलोकियम उनकी शैक्षणिक यात्रा में एक महत्वपूर्ण कदम है। उनके लिए यह एक ऐसा प्लेटफॉर्म है,जहां वे अपने शोध को प्रस्तुत करने के साथ-साथ विशेषज्ञों से रचनात्मक प्रतिक्रिया प्राप्त कर सकते हैं,जिनकी सहायता से वे एक शोधकर्ता के रूप में अपने कौशल को निखार सकते हैं।