हरिद्वार। गुरूकुल कंागडी समविश्वविद्यालय के कुलाधिपति डा सत्यपाल ंिसंह ने आर्य समाज स्थापना दिवस के अवसर पर सम्बोधित करते हुए कहा कि जीवन का प्रोफेसर बनना है तो ऋषि दयानंद सरस्वती द्वारा रचित सत्यार्थ प्रकाश को पढना चाहिए। आनन्द ज्ञान से मिलता हैे प्रत्येक व्यक्ति को सत्यार्थ प्रकाश पढना चाहिए। भौतिकी विज्ञान के प्रकाण्ड विद्वान पं गुरूदत्त विद्यार्थी ने 18बार सत्यार्थ प्रकाश को पढा था। उन्होने कहा कि आज नव वर्ष का पहला दिन है प्रत्येक व्यक्ति को अपने अपने घर में यज्ञ करना चाहिए। यज्ञ करने से घर मेुं सुख शांति आती है।ं यज्ञ करने से आन्तरिक विकास तो होता ही है साथ ही वातावरण में शुद्विकरण होता है। उन्होने कहा कि तिथि और तारीख में बहुत अन्तर है। तिथि वैज्ञानिक है जिससे ग्रहो की स्थिति का आकलन किया जा सकता है। ग्रहो की पूर्व स्थिति जाननी है तो तिथि का ज्ञान होना अत्यन्त आवश्यक है। हमारे पूर्वज तिथि के आधार पर ही नीतिगत निर्णय लिया करते थे। विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो सोमदेव शतान्शु ने सम्बोधित करते हुए कहा कि स्वामी दयानंद सरस्वती ने समाज के सोते हुए लोगो को जगाने का काम किया है। सत्यार्थ प्रकाश पढने वाले जितने भी लोग है आडम्बर और कुरीतियो से काफी दूर रहते है। आर्य समाज भारतीय संस्कृति का पोषक है। सभी व्यक्तियो को आर्य समाज के बताये नियम पर चलना चाहिए जिससे हमारा जीवन आर्दश पूर्ण बन सके। विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रो सुनील कुमार ने कहा कि आर्य समाज स्थापना दिवस कुलाधिपति के निर्देशन में विश्वविद्यालय भवन में मनाया जा रहा हैं इस तरह का स्थापना दिवस हर वर्ष मनाया जाना चाहिए जिससे लोगो को आर्य समाज की क्रिया कलापो के बारे में पता चल सके। जीव विज्ञान संकाय के संकायाध्यक्ष प्रो.डी.एस.मलिक ने कहा कि सभी अध्यापको को वेद और विज्ञान विषय पर परियोजना बना कर डीएसटी संस्था में स्वीकृति हेतु भेजनी चाहिए। आर्य समाज के द्वारा नारी शिक्षा पर बडा कार्य हुआ है। नारी शिक्षा को आगे बढाने में आचार्य रामदेव ने नारी शिक्षा को लेकर अलग अलग स्थानो पर कन्या गुरूकुल खोले और उनका संचालन आज भी हो रहा है। प्रो.नमिता जोशी ने सम्बोधित करते हुए कहा कि नव सम्वत्सर पर ऋतुओ के बारे में जानकारी दी। नव वर्ष पर नया उल्लास होता है जिसका प्रभाव हमारे जीवन पर सकरात्मक पडता है। प्रो श्रवण कुमार शर्मा ने कहा कि भारतीय संस्कृति को जानना है तों स्वामी श्रद्वानंद को जानता जरूरी है। वेदो को जानना है तों स्वामी दयानंद सरस्वती को जानना आवश्यक है। प्रो सुचित्रा मलिक ने कहा कि आज धर्म की आड में धर्मान्तरण हो रहा है। यूरोपीय सभ्यता हमारे समाज पर थोपी जा रही है। इससे बचने के लिए आर्य समाज के नियमो को आत्मसात करना जरूरी है। प्रो ब्रहमदेव ने कहा कि विश्वविद्यालय में नव सम्वतसर के अवसर पर नया वैदिक कैलेन्डर बनना चाहिए। आर्य समाज की परम्परा के अनुसार शिक्षा में वैदिक संस्कृति का समावेश होना आवश्यक है। वैदिक आर्य राजवीर शास्त्री ने कहा कि आर्य समाज का प्रसार प्रचार विदेशो में भी हो रहा है। वैज्ञानिक शिक्षा के अनुसार अंग्रेजो को वैदिक शिक्षा दी जा रही है जिससे भारतीय संस्कृति का प्रचार प्रसार हो रहा है। इस अवसर पर विश्वपाल जयंत (आधुनिक भीम) ने कहा कि आर्य समाज पद्वति के अनुसार उपवास की परम्परा का निर्वाह व्रत के अनुसार किया जाना चाहिए। उन्होने कहा कि स्वामी दयानंद सरस्वती ने 16बार जहर पीकर समाज को अमृत देने का काम किया। शिक्षकेत्तर कर्मचारी यूनियन के अध्यक्ष रजनीश भारद्वाज ने कहा कि मर्यादा पुरूषोत्तम राम का राज्य अभिषेक आज ही के दिन हुआ था। प्रकृति का सृजन भी चैत्र माह में नई ऊर्जा से होता है। कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए डा योगेश शास्त्री ने नव सम्वत्सर के अवसर पर सभागार में उपस्थित लोगो से आहवान किया कि ऋषि दयानंद सरस्वती के आर्दशो पर चलना चाहिए। पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ंिसह रावत ने सम्बोधित करते हुए कहा कि गुरूकुल कांगडी विश्वविद्यालय ऐतिहासिक धरोहर है।इदेश की आजादी के आन्दोलन में गुरूकुल कंागडी की महत्वपूर्ण योगदान रहा है।उन्होने विश्वविद्यालय भवन उपस्थित आर्यजनो से अनुरोध किया कि देश को मजबूत करने के लिए आगे आकर देशहित में भारतीय संस्कृति व संस्कारो को पल्लवित करने का काम करे। इस अवसर पर प्रो विवेक गुप्ता,प्रो राकेश कुमार जैन,प्रो प्रभात सैंगर,प्रो.एल.पी.पुरोहित,प्रो अम्बुज शर्मा, प्रो.कर्मजीत भाटिया,प्रो.सुरेन्द्र त्यागी,प्रो नवनीत,डा.शिवकुमार चौहान,डा.ऊधम ंिसह,डा अजेन्द्र,डा.अरूण कुमार,डा गगन माटा,डा.विपिन शर्मा,डा पंकज काशिक,कुलभूषण शर्मा,अरविन्द शर्मा, डा.महेन्द्र असवाल,डा.राजकुमार भाटिया डा.विपुल शर्मा,डा बबिता शर्मा,डा.निधि हाण्डा,डा.मंजूषा कौशिक ,डा.बबलु आर्य,प्रमोद कुमार,प्रकाश तिवारी,डा बिजेन्द्र शास्त्री,अमित धीमान,डा.दीन दयाल,डा श्वेतांक आर्य,शशिकान्त शर्मा,रूपेश पन्त,डा.धमेन्द्र बालियान,दीपक वर्मा,नरेन्द्र मलिक,वीरेन्द्र पटवाल, अजय कुमार, संुभाषचन्द्र विकास कुमार, नीरज भटट,राजीव चौघरी, धर्मेन्द्र बिष्ट, कृष्ण कुमार, सहित विभिन्न शिक्षक व शिकेत्तर कर्मचारी उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन डा.हिमांशु पण्डित व बिजेन्द्र शास्त्री ने किया।