अध्यात्म के जागरण से ही भारत विश्वगुरु का स्थान प्राप्त करेगा - सतपाल महाराज

 हरिद्वार। देहरादून हरिद्वार हाईवे स्थित चमगादड़ टापू पार्किंग मैदान में मानव उत्थान सेवा समिति व श्रीप्रेम नगर आश्रम के तत्वावधान में आयोजित विशाल सद्भावना सम्मेलन के प्रथम दिन जन समुदाय को संबोधित करते हुए आध्यात्मिक गुरु सतपाल महाराज ने कहा कि आज हमारा भारतवर्ष पूरे विश्व में अपनी गरिमामय उपस्थिति को दर्शा रहा है,कई दशकों पहले हमारा भारतवर्ष सोने की चिड़िया के नाम से जाना जाता था,धीरे-धीरे हम आज विकास के पथ की और आगे बढ़ने लगे हैं। विश्व के देशों में अब हमारा नाम अग्रणी देशों में लिया जाने लगा है, कहने का भाव यह है कि भारत पुनः विश्व की भूमिका आज निभा रहा है, योग का संदेश दे रहा है। संसार के अंदर अध्यात्म का प्रचार जगह-जगह हो रहा है और यह सब हमारे ऋषि,मुनियों,संतों एवं महान पुरुषों की ही देन है, जिन्होंने सदैव हमारा मार्गदर्शन किया है। जब अध्यात्म का जागरण भारतवर्ष में होगा तो भारत पुनःविश्वगुरु के स्थान को प्राप्त करेगा। श्री महाराज जी ने आगे कहा कि वैशाखी का पर्व हमें याद दिलाता है कि गुरु महाराज जी की रक्षा के लिए चालीस मुक्तों ने लड़ते-लड़ते मुगलों को परास्त किया और अपने प्राणों की आहुति दी। गुरु महाराज जी ने चालीस वीर बलिदानियों को चालीस मुक्ता कहा। तो उस स्थान का नाम मुक्तसर पड़ गया। आज भी वहां पर गुरुद्वारा है। लोग वहां पर दर्शन करने के लिए बड़ी आस्था के साथ जाते हैं। यह इतिहास हम सबको याद दिलाता है कि चालीस मुक्ते अपने गुरु के लिए लड़ते-लड़ते शहीद हो गए,मातृभूमि पर न्योछावर हो गए। इस इतिहास को याद करके आध्यात्मिक रास्ते पर चलना सीखो। इतिहास को जान करके हमें अध्यात्म का प्रचार करना होगा,धर्म की रक्षा के लिए आगे आना होगा। इस बात की पुष्टि करते हुए हमारे संतो ने कहा है कि जब हम धर्म की रक्षा करेंगे तभी धर्म हमारी रक्षा करेगा। इसलिए धर्म की रक्षा के लिए हम सबको कटिबद्ध होना होगा,तभी जाकर हमारा देश मजबूत होगा,हमारा समाज सुरक्षित रहेगा। भगवान श्री कृष्ण ने भी कहा है कि हे अर्जुन सब काल में निरंतर मेरे नाम व स्वरूप का ध्यान करते हुए मेरा सुमिरण कर। हमारे अंदर वह कौन सी वस्तु है जो निरंतर चल रही है? इसलिए इस श्वांस रुपी माला को जानने के लिए सतगुरु की शरण में आकर ज्ञान प्राप्त करना चाहिए तथा भजन सुमिरन करके अपनी आत्मा का कल्याण करना चाहिए। कार्यक्रम से पूर्व श्री महाराज,पूज्य माता अमृता रावत व अन्य विभूतियों का माल्यापर्ण कर स्वागत किया गया। मंच संचालन महात्मा हरिसंतोषानंद ने किया।