भवसागर की वैतरणी है श्रीमद्भावगत कथा-स्वामी भास्करानंद महाराज


 हरिद्वार। महामंडलेश्वर आचार्य स्वामी भास्करानंद महाराज ने कहा कि श्रीमद् भागवत कथा भवसागर की वैतरणी है। कथा का श्रवण औेर मनन करने तथा कथा से मिले ज्ञान को आचरण में धारण करने से मनुष्य का जीवन भवसागर से पार हो जाता है। सप्त सरोवर मार्ग स्थित अखण्ड दयाधाम के भूमि पूजन के उपलक्ष्य में अखण्ड दया धाम वृन्दावन एवं गोयल पारमार्थिक ट्रस्ट इंदौर की और से आयोजित श्रीमद् भागवत कथा का श्रद्धालु भक्तों को श्रवण कराते हुए महामंडलेश्वर आचार्य स्वामी भास्करानंद महाराज ने कहा कि समाज को संस्कृति से जोड़ने के लिए भगवान की कथा सबसे उपयुक्त माध्यम है। सभी ग्रंथों का सार श्रीमद् भागवत कथा अंतःकरण में व्याप्त अज्ञान रूपी अंधकार को दूर कर ज्ञान का प्रकाश करती है। कथा श्रवण के प्रभाव से सात्विक विचारों का उदय होता है। जिससे कल्याण का मार्ग प्रशस्त होता है। कथा के माध्यम से श्रद्धालुओं को मानवता और प्रकृति संरक्षण का संदेश देते हुए स्वामी भास्करानंद महाराज ने कहा कि मानव दानव ना बने। सभी में मानवीय गुणों का विकास हो। प्रकृति के प्रति जागरूक बनें। जो प्रकृति जीवन दे रही है। वह विनाश करने में भी देर नहीं लगाती है। इसलिए प्रकृति और पर्यावरण का संरक्षण करें। सनातनियों के लिए गंगा मां है। मां गंगा की प्राण प्रण से रक्षा करें। गंगा प्रदूषित हो जाएगी तो कुछ नहीं बचेगा। गंगा की अविरलता और निर्मलता के प्रति सबको जागरूक होना होगा। गंगा केवल सनातनियों की ही नहीं बल्कि प्रत्येक देशवासी की जीवन रेखा है। इसलिए प्रत्येक भारत वासी को गंगा की रक्षा करनी चाहिए। जब भी गंगा स्नान के लिए आएं तो गंगा संरक्षण में योगदान अवश्य करें। पुराने कपड़े, कचरा आदि गंगा में ना फेंके। पॉलीथीन व प्लास्टिक का उपयोग कतई ना करें। दूसरों को भी इसके लिए प्रेरित करें। इस अवसर पर महंत सत्यम गिरी, महंत सूर्यमोहन गिरी, महंत सुरेंद्र पुरी, स्वामी कृष्णानंद ने भी श्रद्धालुओं को आशीवर्चन प्रदान किए। ट्रस्टी प्रेम गोयल, विजय गोयल, श्याम अग्रवाल, पुरूषोत्तम अग्रवाल ने सभी संतों का फूलमाला पहनाकर स्वागत किया। श्रीमती पुष्पा देवी, अमित वालिया आदि सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहे।