ईनामी बदमाश के मुठभेड़ में मारे जाने की होगी मजिस्ट्रेट जांच करेंगे एसडीएम भगवानपुर

 हरिद्वार। उप जिलाधिकारी जितेन्द्र कुमार ने अवगत कराया है कि कार्यालय जिला मजिस्ट्रेट, हरिद्वार के कार्यालय आदेश 1340 दिनांक 16अप्रैल,जिसमें वर्णित है कि वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक ,हरिद्वार ने अपनी आख्या पत्राक वाचक एसएसपी 25 09.अप्रैल 2024 में उल्लेख किया कि थाना नानकमत्ता जिला उद्यमसिंहनगर में दिनांक 28.मार्च 2024 को पंजीकृत मु0अ0सं0 83, 2024 धारा 302.201.120बी34 भादवि में वांछित/इनामी की गिरफ्तारी के लिये एस0टी0एफ0 गढ़वाल व कुमांऊ की संयुक्त टीम द्वारा 9अप्रैल को चौकिंग के समय गागलहेडी चौक पर एक मोटर साईकिल स्पलेन्डर काले रंग,बिना नं0 की,जिस पर वो व्यक्ति सवार थे,उन पर शक होने के कारण पुलिस टीम द्वारा उनका पीछा किया तथा अन्य टीमो को चैकिंग के लिये सूचित किया। एसटीएफ व स्थानीय पुलिस टीमों द्वारा इमली रोड छंगामजरी रोड पर उक्त मोटर साईकिल सवारों को घेरने का प्रयास किया गया तो एक व्यक्ति अन्धेरे का फायदा उठाकर भाग गया व एक बदमाश द्वारा पुलिस पर लगातार फायर किये गये। पुलिस टीम द्वारा आत्मरक्षा में नियन्त्रित फायर किये,जिसमें बदमाश अमरजीत सिंह उर्फ बिट्टू पुत्र सुरेन्द्र सिंह, निवासी ग्राम सिहौरा,बिलासपुर जिला रामपुर,उत्तर प्रदेश घायल हो गया,जिसकी शिनाख्त एसटीएफ टीम द्वारा की गई। इस घायल को उपचार हेतु तत्काल सरकारी वाहन एचपी-1 के माध्यम से सरकारी अस्पताल रूड़की भिजवाया गया,जहाँ पर अभियुक्त अमरजीत को चिकित्सक द्वारा मृत घोषित कर दिया गया। इस घटना के संबंध में वादी ऋषि बल्लब चमोला, पुलिस उपाधीक्षक एसटीएफ देहरादून द्वारा थाना भगवानपुर पर मु0अ0सं0 256/2024 धारा 307 भादवि व 3/25 आर्म्स एक्ट बनाम अमरजीत आदि पंजीकृत किया गया है,जिसकी प्रारम्भिक विवेचना नरेन्द्र पंत क्षेत्राधिकारी रुड़की हरिद्वार के सुपुर्द की गई है। वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक,हरिद्वार द्वारा उक्त प्रकरण की मजिस्ट्रीयल जाँच कराये जाने की अपेक्षा की गयी है। जिलाधिकारी हरिद्वार द्वारा जितेन्द्र कुमार को जांच अधिकारी नामित किया गया है। अतः उक्त मजिस्ट्रीयल जांच में जिस किसी व्यक्ति को कोई अभिलेखीय अथवा मौखिक साक्ष्य प्रस्तुत करना हो तो वह प्रेस विज्ञप्ति जारी करने की तिथि से एक सप्ताह के भीतर स्थित विकास खण्ड कार्यालय, भगवानपुर परिसर में उपस्थित होकर अभिलेखीय साक्ष्य प्रस्तुत कर सकता है। अथवा मौखिक साक्ष्य अभिलिखित करा सकता है। निश्चित समयावधि के उपरान्त कोई साक्ष्य प्राप्त नही किया जाएगा और न ही मान्य होगा।