हरिद्वार। निरंजन पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरी महाराज ने कहा कि सनातन संस्कृति में स्नान,दान आदि का विशेष महत्व है। विशेष पर्वो पर गंगा स्नान और गंगा जल के आचमन से जन्म-जन्मांतर के पाप नष्ट हो जाते हैं और पुण्य फल की प्राप्ति होती है। उन्होंने कहा कि सोमवती अमावस्या पर गंगा व अन्य पवित्र नदियों में स्नान करने से कई लाख गुना पुण्य फल की प्राप्ति होती है। गंगा स्नान करने के साथ अन्न दान अवश्य करना चाहिए। सोमवती अमावस्या पर गंगा स्नान,गायत्री जप,सूर्य को अर्ध्य और गरीबों को अन्न आदि दान करने से ईश्वर प्रसन्न होते हैं। सोमवती अमावस्य को हवन का भी विशेष महत्व है। मां गंगा को अमावस्या, चतुदर्शी,सप्तमी और दशमी अत्यंत प्रिय है। कहा कि गंगा स्नान के उपरांत सार्म्थ्य के अनुसार जितना भी दान आदि किया जाता है। उसका लाख गुना फल मां गंगा प्रदान करती है। उन्होंने कहा कि गंगा स्नान करने के साथ सभी को गंगा को निर्मल और अविरल बनाए रखने के लिए दूसरों को भी गंगा स्वच्छता के प्रति प्रेरित करना चाहिए। स्वामी कैलाशानंद गिरी महाराज के शिष्य अवंतिकानंद ब्रह्मचारी ने बताया कि प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष भी श्री दक्षिण काली मंदिर में नवरात्र उत्सव धूमधाम से मनाया जाएगा। लोक कल्याण के लिए पूज्य गुरूदेव नौ दिनों तक मां भगवती के निमित्त विशेष अनुष्ठान करेंगे।
मां गंगा को प्रिय है अमावस्या, चतुदर्शी, सप्तमी व दशमी-स्वामी कैलाशानंद गिरी