शमशान में होली मनाते थे भगवान शिव-स्वामी कैलाशानंद गिरी

 


हरिद्वार। निरंजन पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरी महाराज ने श्री दक्षिण काली मंदिर में विदेशी भक्तों के साथ फूलों की होली खेली और सभी देशवासियों को होली की शुभकामनाएं दी। इस अवसर पर निरंजन पीठाघीश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरी महाराज ने कहा कि होली रंगों और प्रेम का पर्व है। दुनिया भर में रहने वाले सनातनी खुशीयों और बुराई पर सच्चाई के जीत के प्रतीक और रंगों का उत्सव होली मनाते हैं। भगवान शिव शमशान में होली मनाते थे। भगवान श्रीकृष्ण की बरसाने की होली आज भी पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है। उन्होंने कहा कि रंगों और उमंगों का पर्व होली एक दूसरे को आपस में जोड़ता है। रंगों, उमंगों और उल्लास का पर्व होली जीवन को नई प्रेरणा देता है। होली मनाते समय मर्यादा का ध्यान रखें और अपनी खुशीयों में समाज के जरूरतमंद वर्ग को भी शामिल करें। स्वामी कैलाशानंद गिरी महाराज ने कहा कि देश में मनाए जाने वाले विभिन्न पर्व भारत की संस्कृति को प्रदर्शित करते हैं और समाज को आपस में जोड़ते हैं। जिससे एकता, प्रेम और सौहार्द की भावना मजबूत होती है। स्वामी कैलाशानंद गिरी के शिष्य स्वामी अवंतिकानंद ब्रह्मचारी ने सभी को चंदन का तिलक लगाकर स्वगात किया। स्वामी अंवतिकानंद ब्रह्मचारी ने बताया कि 25मार्च को स्वामी कैलाशानंद गिरी महाराज के सानिध्य में श्रीदक्षिण काली मंदिर में रंगों की होली का आयोजन किया जाएगा। जिसमें बड़ी संख्या में संत महंत शामिल होंगे। इस अवसर पर स्वामी शंकरतिलक आनंद,स्वामी आद्यानंद सरस्वती,डा.राजेंद्र पाराशर, पदम प्रकाश शर्मा,बिजनौर और मेरठ से आए भक्त शामिल रहे।