हरिद्वार। उत्तराखण्ड विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने कहा आज देश के किसान तीन काले कृषि कानूनों को वापस लेते समय दिए गए आश्वासनों के पूरा न होने के विरोध में नई दिल्ली तक मार्च कर रहे हैं,लेकिन दिल्ली पुलिस और हरियाणा पुलिस द्वारा किसानों को परेशान करने और उन्हें उनके वैध अधिकारों का प्रयोग करने से रोकने के लिए जिन तरीकों का इस्तेमाल किया जा रहा है,वह बेहद अलोकतांत्रिक है और केंद्र सरकार की विरोधी मानसिकता को दर्शाता है। किसान आंदोलन के लिए कारण स्पष्ट हैं। चाहे वह पूंजीपतियों की मदद के लिए भूमि अधिग्रहण कानून में संशोधन करने की कोशिश हो अथवा तीन काले कृषि कानून लाना रहा हो। इन्होंने हर तरह से किसानों को नुकसान पहुंचाने का प्रयास किया है. किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी भी आज तक नहीं मिली है. किसानों के लिए बाजार को कमजोर करने का कार्य किया गया है. यहां तक कि यह सरकार किसानों को उचित लागत मूल्य देने में भी विफल रही है। 2004-14 की अवधि में कांग्रेस सरकार के दौरान गेहूं के न्यूनतम समर्थन मूल्य में 126 फीसदी की बढ़ोतरी की गई थी. अगर वर्तमान सरकार द्वारा किसानों को वहीं न्यूनतम समर्थन मूल्य प्रदान किया जाता तो आज उन्हें प्रति क्विंटल गेहूं का मूल्य 3277रुपये मिल रहा होता ना कि मौजूदा समय में जो मिल रहा है 2275 रुपये।किसान ऋण के दुष्चक्र में फंसते जा रहे हैं। वर्ष 2013 से किसानों के ऊपर कर्ज में 60फीसदी बढ़ोतरी हुई है और इससे उनकी स्थिति बेहद खराब हो चुकी है। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत बीमा करवाने वाले लाखों किसानों को उनके क्लेम के भुगतान में देरी की समस्या का सामना करना पड़ता है। सरकार के अपने ही आंकड़ों के मुताबिक 21-‘ 22 में लगभग 2761 करोड़ रुपए के क्लेम लंबित थे। 2022तक किसानों की आय दोगुनी करने के बड़े-बड़े दावों और भाषणों की आड़ में अन्नदाताओं की वास्तविकता को छुपाने की कोशिश की गई। हकीकत यह है कि किसान एक सम्मानजनक जीवन भी नहीं जी पा रहे हैं. वे कर्ज में डूबे हैं और उन्हें उनकी फसलों के नुकसान के लिए बीमा की राशि भी नहीं मिल रही है। किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी आज तक नहीं मिली है। किसानों के लिए बाजार को कमजोर करने का कार्य किया गया है। भाजपा पूंजीपतियों को फायदा पहुंचाने वाली सूट-बूट की सरकार है। भाजपा सरकार ने कभी किसानों के हित की बात नहीं की। यह सरकार किसान व मजदूर के दुःख को नहीं समझ रही। किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य मिलना चाहिए। कांग्रेस का समर्थन किसान,मजदूर और आढ़तियों के साथ है।
किसानों को रोकने के लिए गलत तरीकों का इस्तेमाल बेहद अलोकतांत्रिक है-यशपाल आर्य
हरिद्वार। उत्तराखण्ड विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने कहा आज देश के किसान तीन काले कृषि कानूनों को वापस लेते समय दिए गए आश्वासनों के पूरा न होने के विरोध में नई दिल्ली तक मार्च कर रहे हैं,लेकिन दिल्ली पुलिस और हरियाणा पुलिस द्वारा किसानों को परेशान करने और उन्हें उनके वैध अधिकारों का प्रयोग करने से रोकने के लिए जिन तरीकों का इस्तेमाल किया जा रहा है,वह बेहद अलोकतांत्रिक है और केंद्र सरकार की विरोधी मानसिकता को दर्शाता है। किसान आंदोलन के लिए कारण स्पष्ट हैं। चाहे वह पूंजीपतियों की मदद के लिए भूमि अधिग्रहण कानून में संशोधन करने की कोशिश हो अथवा तीन काले कृषि कानून लाना रहा हो। इन्होंने हर तरह से किसानों को नुकसान पहुंचाने का प्रयास किया है. किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी भी आज तक नहीं मिली है. किसानों के लिए बाजार को कमजोर करने का कार्य किया गया है. यहां तक कि यह सरकार किसानों को उचित लागत मूल्य देने में भी विफल रही है। 2004-14 की अवधि में कांग्रेस सरकार के दौरान गेहूं के न्यूनतम समर्थन मूल्य में 126 फीसदी की बढ़ोतरी की गई थी. अगर वर्तमान सरकार द्वारा किसानों को वहीं न्यूनतम समर्थन मूल्य प्रदान किया जाता तो आज उन्हें प्रति क्विंटल गेहूं का मूल्य 3277रुपये मिल रहा होता ना कि मौजूदा समय में जो मिल रहा है 2275 रुपये।किसान ऋण के दुष्चक्र में फंसते जा रहे हैं। वर्ष 2013 से किसानों के ऊपर कर्ज में 60फीसदी बढ़ोतरी हुई है और इससे उनकी स्थिति बेहद खराब हो चुकी है। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत बीमा करवाने वाले लाखों किसानों को उनके क्लेम के भुगतान में देरी की समस्या का सामना करना पड़ता है। सरकार के अपने ही आंकड़ों के मुताबिक 21-‘ 22 में लगभग 2761 करोड़ रुपए के क्लेम लंबित थे। 2022तक किसानों की आय दोगुनी करने के बड़े-बड़े दावों और भाषणों की आड़ में अन्नदाताओं की वास्तविकता को छुपाने की कोशिश की गई। हकीकत यह है कि किसान एक सम्मानजनक जीवन भी नहीं जी पा रहे हैं. वे कर्ज में डूबे हैं और उन्हें उनकी फसलों के नुकसान के लिए बीमा की राशि भी नहीं मिल रही है। किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी आज तक नहीं मिली है। किसानों के लिए बाजार को कमजोर करने का कार्य किया गया है। भाजपा पूंजीपतियों को फायदा पहुंचाने वाली सूट-बूट की सरकार है। भाजपा सरकार ने कभी किसानों के हित की बात नहीं की। यह सरकार किसान व मजदूर के दुःख को नहीं समझ रही। किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य मिलना चाहिए। कांग्रेस का समर्थन किसान,मजदूर और आढ़तियों के साथ है।