विधि विधान के साथ गंगा में प्रवाहित की गयी ब्रह्मलीन महंत सुरेंद्र मुनि की अस्थियां

 हरिद्वार। श्री अवधूत जगतराम उदासीन आश्रम के परमाध्यक्ष ब्रह्मलीन महामंडलेश्वर महंत सुरेंद्र मुनि महाराज की अस्थियां संत समाज की उपस्थिति में वैदिक विधि विधान और मंत्रोच्चारण के साथ गंगा में प्रवाहित की गयी। ब्रह्मलीन महंत सुरेंद्र मुनि के शिष्य महंत सुतिक्ष्ण मुनि ने अस्थि कलश को गंगा में प्रवाहित किया। अस्थि प्रवाह से पूर्व सभी तेरह अखाड़ों के संत महापुरूषों ने अस्थि कलश पर पुष्पांजलि अर्पित कर ब्रह्मलीन महंत सुरेंद्र मुनि को श्रद्धांजलि दी। श्री पंचायती अखाड़ा नया उदासीन के मुखिया महंत भगतराम महाराज ने श्रद्धासुमन अपित करते हुए कहा कि ब्रह्मलीन महामंडलेश्वर महंत सुरेंद्र मुनि महाराज दिव्य आत्मा थे। उन्होंने जीवन पर्यन्त समाज को ज्ञान की प्रेरणा देकर अध्यात्म व धर्म के मार्ग पर अग्रसर करने में योगदान दिया। महंत सुरेंद्र मुनि महाराज के ब्रह्मलीन होने से संत समाज को जो क्षति हुई है। उसे कभी पूरा नहीं किया जा सकेगा। महंत धुनीदास, महंत रविन्द्र दास, महंत जसविन्दर सिंह ने कहा कि सनातन धर्म संस्कृति के संरक्षण संवर्द्धन में ब्रह्मलीन महंत सुरेंद्र मुनि महाराज का योगदान सदैव स्मरणीय रहेगा। सभी को उनके दिखाए मार्ग पर चलते हुए मानव कल्याण में योगदान करना चाहिए। जयराम आश्रम के परामध्यक्ष स्वामी ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी,कोठारी महंत राघवेंद्र दास महाराज,स्वामी रविदेव शास्त्री महाराज ने कहा कि ब्रह्मलीन महंत सुरेंद्र मुनि महाराज ने जीवन पर्यन्त संत परंपरांओं का पालन करते हुए समाज का मार्गदर्शन किया। ब्रह्मलीन महंत सुरेंद्र मुनि के शिष्य महंत सुतिक्ष्ण मुनि ने कहा कि पूज्य गुरूदेव के दिखाए मार्ग पर चलते हुए उनके अधूरे कार्यो को पूरा करना ही उनके जीवन का उद्देश्य है। महामंडलेश्वर स्वामी गर्व गिरी, महंत खेम सिंह,स्वामी दिनेश दास,साध्वी सुरेश मुनि,महंत निर्भय सिंह,स्वामी नागेंद्र महाराज,स्वामी बिपनानंद,महंत निर्मल दास,महंत गोविंददास, महंत जयेंद्र मुनि, महंत प्रेमदास, महंत रघुवीर दास, महंत बिहारी शरण,स्वामी ऋषि रामकृष्ण, महंत अरूण दास सहित बड़ी संख्या में संत महापुरूष मौजूद रहे।