कर्मों के अनुसार ही फल भोगता है मनुष्य-पंडित पवन कृष्ण शास्त्री


 हरिद्वार। श्री राधा रसिक बिहारी भागवत परिवार सेवा ट्रस्ट के तत्वाधान में मारुति वाटिका जगजीतपुर में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के दूसरे दिन की कथा सुनाते हुए भागवताचार्य पंडित पवन कृष्ण शास्त्री ने बताया कि मनुष्य अपने कर्मों के फलस्वरूप ही सुख एवं दुख भोगता है। कर्म मुख्य रूप से तीन प्रकार के होते है क्रियमान कर्म, संचित कर्म एवं प्रारब्ध कर्म। क्रियामन कर्म वह है जो हम वर्तमान समय में कर रहे हैं। संचित कर्म वह हैं जो कम कर चुके हैं एवं ठीक इसी प्रकार से प्रारब्ध कर्म हमारे एकत्रित कर्म हैं, जिन्हें हम भोग रहे हैं। शास्त्री ने बताया कि वेदव्यास ने 18पुराणों में स्पष्ट रूप से कहा है परोपकार करने, एक दूसरे की मदद करने, दूसरों के दुख में सम्मिलित होने से मनुष्य का पुण्य दिन प्रतिदिन बढ़ता है और उस पुण्य के फल स्वरुप मनुष्य सुखों को भोगता है। लेकिन यदि मनुष्य किसी को दुख और कष्ट देता है। जीव हत्या करता है तो उसका पाप बढ़ने लगता है। पाप के परिणाम स्वरुप जीवन में अनेक दुख आते हैं। शास्त्री ने बताया कि श्रीमद्भागवत कथा मनुष्य को परोपकार करने की प्रेरणा देती है। प्रत्येक मनुष्य को परोपकारी होना चाहिए। कथा के मुख्य जजमान पुष्पा चौहान,बृजपाल सिंह चौहान,इंदु चौहान,संजय चौहान,अनिमेष चौहान,रोहन चौहान,मंजू चौहान,पवन चौहान,ममता चौहान,राज चौहान,रिया चौहान,राजीव चौहान,अर्पित चौहान, हर्षित चौहान,धु्रव चौहान,रेवांश चौहान,कुनाल चौहान,शालिनी ठाकुर,रेखा शर्मा, कल्पना, नूतन शर्मा,अलका, मंजू,स्वाति आदि ने भागवत पूजन किया और कथाव्यास से आशीर्वाद प्राप्त किया।