भारतीय किसानों का रहन-सहन अत्यंत सरल और जीवन बेहद चुनौतीपूर्ण होता है

 इंटरनेशनल गुडविल सोसायटी ऑफ इंडिया हरिद्वार चैप्टर की एक वेबीनार का आयोजन भारतीय किसान पर आयोजित किया गया। वेबिनार की अध्यक्षता चैप्टर के अध्यक्ष इंजीनियर मधुसूदन अग्रवाल ने किया तथा संचालन अरुण कुमार पाठक ने किया। इस अवसर पर इंजीनियर मधुसूदन अग्रवाल ने बताया भारतीय किसानों का रहन-सहन अत्यंत सरल और जीवन बेहद चुनौतीपूर्ण होता है। हमारे किसान सूर्योदय के वक्त ही उठ जाते हैं और सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक खेतों में कड़ी मेहनत कर फसल उगाते हैं। हमारे भारतीय किसानों का भोजन बहुत ही सादा होता है,वे अपने भोजन में पौष्टिक आहार को शामिल करना ज्यादा पसंद करते हैं। हमारे किसान कड़ी धूप,वर्षा,कड़ाके की ठंड में भी निरंतर काम करते रहते हैं। इतना ही नहीं कई बार तो जंगली जानवर से फसलों को बचाने के लिए उन्हें रात-रात भर फसल की रखवाली भी करनी पड़ती है। एक फसल को तैयार होने में लगभग 3 से 4 महीने का वक्त लगता है और हमारे किसान बुवाई से लेकर कटाई तक और उसके बाद भी निरंतर खेतों में काम करते ही रहते हैं। हमारे किसानों को अपनी कठिन जीवन शैली के साथ-साथ जलवायु परिवर्तन, वाणिज्य क्षेत्र में अनिश्चितता और अन्य प्राकृतिक आपदाओं जैसे कि बाढ़, भूकंप आदि का सामना करना पड़ता है। संरक्षक संरक्षक जगदीश लाल पाहवा ने कहा कि हमारे किसान हमारे राष्ट्र का गौरव है। अगर हमारे किसान नहीं होंगे तो हमें अन्न की कमी हो जाएगी। हमें अपने किसानों की प्रति हमेशा कृतज्ञ रहना चाहिए। किसान 3-4 महीने के कठिन परिश्रम के बाद अनाज उगाता है,हमें उस अनाज के प्रति भी सम्मान दिखाना चाहिए। हमें अन्न को बिल्कुल भी बर्बाद नहीं करना चाहिए क्योंकि अन्न का एक-एक दाना किसान की दिन रात कड़ी मेहनत का ही नतीजा है। हमें हमारे किसान जिन्हें हम अन्नदाता के नाम से भी जानते हैं उनके प्रति आदर सहानुभूति कृतज्ञता व्यक्त करनी चाहिए। यह हमारे देश की समृद्धि और प्रगति में भी मदद करते हैं। हमें अपने भारतीय किसानों की सहायता करने से रुकना नहीं चाहिए अगर हो सके तो उन्हें आर्थिक मदद भी प्रदान करनी चाहिए। उपाध्यक्ष सर्वेश गुप्ता ने कहा कि भारत के सभी किसानों को अनेक आपदाओं का सामना करना पड़ता है। भारत में रहने वाले सभी किसान अपने खेतों में काम करते हैं,और अपने दैनिक जीवन से संबंधित सभी सामग्रियां खरीद कर लाते हैं और अपना जीवन चलाते हैं और अपना घर खर्चा चलाते हैं। किसान अनाज और फल सब्जियां उगाते हैं। किसान द्वारा उगाए जाने वाले अनाज और सब्जियों के माध्यम से ही सभी लोगों का पेट भरता है। किसान जो खेत में रात-दिन मेहनत करता है। फसल की रखवाली करता है,जिसकी वजह से ही किसान की फसल अच्छी होती है। वेबीनार में चीफ एग्जीक्यूटिव कमिटीके मेंबर डॉक्टर महेंद्र आहूजा ने कहा कि भारतीय किसान त्याग और तपस्या का दूसरा नाम है वह जीवन भर मिट्टी से सोना उत्पन्न करने की तपस्या करता रहता है। तपती धूप,कड़ाके की ठंड तथा मूसलाधार बारिश भी उसकी इस साधना को तोड़ नहीं पाते राकेश राकेश अरोड़ा। कहा कि किसानों की दयनीय दशा को देखकर आजकल सरकार ने इनके सुधार के लिए अनेक कार्यक्रम चलाए हैं जैसे चकबन्दी, सहकारी खेती,सस्ते दर पर ऋण,पानी व बिजली की व्यवस्था,अस्पताल व स्कूलों आदि की व्यवस्था। इनके कारण आज के किसान का जीवन-स्तर ऊंचा उठा है और वह अब खुशहाल रहने लगा है। मंत्री अरुण कुमार पाठक ने किसान की मेहनत से हमें फल,फूल,अनाज ,सब्जियां,दूध इत्यादि मिलते है जिनसे हमें आर्थिक लाभ होता है। किसानों की ही देन है कि आज हम इतने बड़े पैमाने पर उत्पादन कर पा रहे है। किसानों की ही देन है आज हमारा देश गेहूँ,चावल,दाल,दूध आदि के उत्पादन में प्रमुख भूमिका निभा रहा है। हमारी अर्थव्यवस्था के तीन भाग है-प्राथमिक,द्वितीयक और तृतीयक। किसान जो भी उत्पादित करते है,वह द्वितीयक भाग में तैयार होता है और उसे लोगों तक पहुंचाया जाता है। इस तरह किसान हमारे अर्थव्यवस्था की नींव है। वेबीनार में नरेंद्र मोहन,जगदीश मित्तल,अन्नपूर्णा बधुनी,कमला जोशी सीमा चौहान,नीलम रावत,रेखा नेगी,नुपुर पाल,साधना रावत, प्रीति जोशी,सुरेश चंद गुप्ता, सुरेश चंद्र गुप्ता,राजीव राय,प्रवीण कुमार अग्रवाल प्रभात कुमार,सुनील कुमार समीर पत्रकार ने सहयोग किया।